Indoo Ki Jawani Review: किआरा अडवाणी-आदित्य सील फीके, हंसाती हैं मल्लिका दुआ

Saturday, December 12, 2020 17:16 IST
By Santa Banta News Network
कास्ट: कियारा अडवाणी, आदित्य सील, मल्लिका दुआ

निर्देशक: अबीर सेनगुप्ता

रेटिंग: **1/2

कई बार ऐसा होता है की हम कोई नई डिश बनाने के लिए काफी उत्सुक होते हैं| डिश वैसे है तो बहुत ही बढ़िया लेकिन आप कैसी बनाएंगे ये तो बनने के बाद ही पता चलता है| यही हिसाब है अबीर सेनगुप्ता की रोमांटिक-कॉमेडी फिल्म इन्दू की जवानी की, जिसकी कहानी और प्लौट का आईडिया तो अच्छा है मगर ये आईडिया एक बढ़िया फिल्म में बदला है की नहीं, आइये डालें नज़र|

इन्दू की जवानी कहानी है ग़ाज़ियाबाद की रहने वाली इंदिरा गुप्ता उर्फ़ इन्दू (कियारा अडवाणी) की जिसे उसका बॉयफ्रेंड धोखा दे देता है क्यूंकि जो वह चाहता था वो उसे इन्दू से नहीं मिला| इन्दू वैसे तो शादी के बाद ही सब कुछ करना चाहती थी लेकिन अपने एक्स बॉयफ्रेंड से बदला लेने के लिए वो अचानक से मॉडर्न बन जाती है और अपनी दोस्त सोनल (मल्लिका दुआ) के कहने पर वन नाईट स्टैंड के लिए लड़के देखना शुरू कर देती है|

सोनल का ये मानना है की हर लड़का सिर्फ एक ही चीज़ चाहता है और वो है सेक्स, इसके बाद स्क्रीन पर एंट्री होती है डेटिंग एप "डिंडर" की जो की सुनने में "टिंडर" का सस्ता वर्ज़न लगता है| इस एप के ज़रिये लड़के की तलाश में निकली इन्दू की जल्द मुलाकात होती है समर (आदित्य सील) से जो की एक पाकिस्तानी है| दूसरी तरफ शहर में खबर फ़ैल गयी है की कुछ पाकिस्तानी शहर में घुस आए हैं और इसी तरह इन्दू का ये वन नाईट स्टैंड कैसे उसके लिए सर दर्द बन जता है ये है कहानी इन्दू की जवानी की|

अबीर सेनगुप्ता की फिल्म का आधार और कहानी का आईडिया तो बढ़िया था, कुछ नया व मॉडर्न भी था, लेकिन ये सारी खूबियाँ सिर्फ यहीं तक सीमित रह गई हैं| परदे पर फिल्म में इनमे से कुछ भी पहुँचने में नाकाम रहा है| फिल्म की शुरुआत अच्छी है, पहले 10-15 मिनट में ये आपको हंसाती है व बाँध भी लेती है और ऐसा लगता है की एक बढ़िया कॉमिक-थ्रिलर फिल्म रूप ले रही है| लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढती है आपके सारे भ्रम टूटते चले जाते हैं और कहानी के अलग-अलग टुकड़े अलग-अलग दिशाओं की ट्रेन पकड़ लेते हैं|


फिल्म में किआरा अडवाणी और आदित्य सील एक साथ काफी अच्छे दिखते हैं, लेकिन सिर्फ तब तक, जब तक ये दोनों कॉमेडी करने की कोशिश नहीं करते| जितनी खूबसूरत कियारा स्क्रीन पर लगी हैं और आदित्य सील जितने हैण्डसम लगे हैं उतनी अच्छी इनकी कॉमिक टाइमिंग नहीं है| किआरा ने अपने किरदार में कुछ ज्यादा ही चुलबुलापन डाल दिया है जो की नकली लगता है, हालांकि स्क्रीन पर उनका एनर्जी लेवल कमाल है| कुल मिलाकर किआरा और आदित्य की केमिस्ट्री विफल रही है और दोनों को अपनी एक्टिंग व कॉमिक टाइमिंग पर काम करने की ज़रुरत है|

अगर फिल्म में कोई है जो आपको हंसाने में कामयाब होता है तो वे हैं मल्लिका दुआ जिनकी एक्टिंग, डायलॉग डिलीवरी और कॉमिक टाइमिंग तीनो मज़ेदार है| मल्लिका अपनी मौजूदगी से आपको हंसाती भी हैं और अपने किरदार के साथ इन्साफ भी करती हैं| मगर थोड़ी ही देर बाद कहानी किआरा और आदित्य के इर्द-गिर्द घूमना शुरू करती है तो मल्लिका भी कुछ नहीं कर पाती हैं| फिल्म की पटकथा भी शुरूआती 15 मिनट के बाद ही बेदम होने लगती है, कई जगह ज़बरदस्ती हंसाने की कोशिश भी की गई है जो की बेहूदा लगती है|

फिल्म का संगीत औसत है, मीका सिंह और असीस कौर का हसीना पागल दीवानी एक और रीमिक्स है, बादशाह और आस्था गिल का हीलें टूट गयी बढ़िया डांस ट्रैक, यही दो गाने कुछ याद रहते हैं|

अंत में बात ये है की किआरा अडवाणी और आदित्य सील की इन्दू की जवानी बढ़िया शुरुआत के बाद कमज़ोर पड़ जाती है| फिल्म में कॉमेडी के नाम पर सिर्फ मल्लिका दुआ हंसाती हैं और किआरा -आदित्य की जोड़ी कोई भी कमाल करने में नाकाम रही है| निर्देशक अबीर सेनगुप्ता एक अच्छी कहानी को एक अच्छी फिल्म में तब्दील नहीं कर पाए और कमज़ोर राइटिंग ने बची हुई कसर पूरी कर दी| अगर किआरा अडवाणी के फैन हैं तो आप एक बार इसे देख सकते हैं|
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