निर्देशक: अली अब्बास ज़फर
रेटिंग: ***1/2
प्लेटफॉर्म: अमेज़न प्राइम वीडियो
हाल ही में अमेज़न प्राइम वीडियो की बहुप्रतीक्षित वेब सीरिज़ 'तांडव' रिलीज़ कर दी गई है। यह 9 एपिसोड्स की कहानी आपको सियासत के खेल में हो रहे छल कपट, तिकड़मबाजी, लालच, घमंड को दिखाती है। बता दें कि इसमें दो कहानियां एक साथ चलती हैं, एक में जहाँ सभी प्रधानमंत्री की कुर्सी के लिए लड़ते नज़र आते हैं, वहीं दूसरी तरफ एक यूनिवर्सिटी कैंपस के अंदर- भेदभाद और जातिवाद से आजादी के लिए लोग भिड़ते दिखाई देते हैं। अगर आप अली अब्बास ज़फर निर्देशित इस बेहतरीन कहानी में कलाकारों की शानदार परर्फोमेंस को देखने की सोच रहे हैं तो उससे पहले इसके बारे में अच्छे से जानकारी प्राप्त कर लें|
राजनीतिक सत्ता के तांडव के इर्द-गिर्द घूमती नज़र आती है इस वेब सीरिज़ की कहानी| देश के दो बार प्रधानमंत्री रह चुके देवकी नंदन (तिग्मांशु धूलिया) चुनाव में अपनी पार्टी को तीसरी बार जिताने के लिए तैयारियां कर रहे हैं| वहीं उनके बेटे समर प्रताप सिंह (सैफ अली खान) को मीडिया पहले ही देश का अगला प्रधानमंत्री मानने लग जाती है। अपने पिता देवकी नंदन की एकदम से हुई मौत के बाद समर का एक निर्णय उसकी पार्टी वालों को हैरानी में डाल देता है।
हुआ यूँ कि जब समर को उसकी पार्टी प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करती है तो वह इसको ठुकरा देते हैं। वह ऐसा क्यों करते हैं ? इसके बाद समर प्रताप सिंह अपने करीबी गुरपाल से कहतें हैं कि अब इस राजनीति में चाणक्य नीति लानी पड़ेगी। समर के फ़ैसले के बाद पक्ष और विपक्ष बैचेन हो जाते हैं और इसी वजह से प्रधानमंत्री की कुर्सी के लिए अनेक उम्मीदवार खड़े हो जाते हैं| इस राजनीतिक खेल में किसकी जीत होगी, यही सवाल दर्शकों को सीरिज़ के साथ बांधे रखता है|
एक तरफ विवेकानंद नेशनल यूनिवर्सिटी की राजनीति का खेल शुरू होता है, जिसमें आप देखेंगे कि एक छात्र शिवा शेखर (मोहम्मद जीशान अय्यूब) किसान आंदोलन का समर्थन करके एक रात में ही सोशल मीडिया स्टार बन जाता है। उसके भाषण को सुन-सुन कर लोग उससे जुड़ते चले जातें हैं और इसकी गूंज प्रधानंत्री कार्यलय में भी सुनाई देने लग जाती है। अंत में यह दोनों कहानियां एक दूसरे से जुड़ती नज़र आती हैं जिसको देखकर शिवा भी हैरान रह जाता है और यहीं से शुरू होता है 'तांडव' का असली खेल|
अली अब्बास ज़फर ने इस राजनीतिक सियासत के खेल को जिस तरह से लोगों के सामने प्रस्तुत किया है वो वाकई में सराहनीय है| सीरिज़ का हर सीन दर्शकों को अपने साथ जोड़े रखने में कामयाब रहता है| सीरिज़ की शुरुवात में थियेटर में दिखाई गई एक नोटंकी आपको जरुर बेतुकी लगेगी, परन्तु इसका हर गुजरता एपिसोड आपका सस्पेंस बना कर रखेगा| गौरव सोलंकी द्वारा लिखित इस सीरिज़ की कहानी सियासी खेल का 'तांडव' दर्शकों के सामने प्रदर्शित करती है। जिस तरीके से उन्होंने इसकी रचना की है वह भी काबिलेतारीफ़ है| इस सीरीज़ के बैकग्राउंड में पटौदी पैलेस की झलक आपको काफी पसंद आएगी|
अभिनय की बात करें तो सभी कलाकरों में सबसे ज्यादा प्रभावित सैफ अली खान के किरदार ने किया है| वह हर जगह मेल लीड अभिनेता होने का फ़ायदा उठाते नज़र आए हैं, एक राजनीतिक गेम प्लानर के रूप में वह शानदार नज़र आए हैं| इस सीरीज़ के अंत में तो उनका किरदार आकर्षक तरीके से सामने आता है, वहीं डिंपल कपाड़िया की बात करें तो वह अपने बेहतरीन अभिनय से दर्शकों के मन में एक अलग ही छाप छोड़ती नज़र आई हैं|
सुनील ग्रोवर का किरदार भले ही छोटा है, लेकिन उन्होंने अपने अभिनय से लोगों का ध्यान खूब आकर्षित किया है|। तिग्मांशु धूलिया कम समय के लिए ही स्क्रीन पर आते हैं, परन्तु उनका किरदार आपका भरपूर मनोरंजन करेगा| जीशान अय्यूब भी एक युवा छात्र नेता के किरदार में शानदार नज़र आए हैं। गौहर खान, सारा जेन डायस, डिनो मोरियो, संध्या मृदुल, कृतिका कामरा, परेश पाहुजा, अनूप सोनी, हितेश तेजवानी ने भी अपना किरदार बखूबी निभाया है|
अंत में यही कहा जा सकता है कि वेब सीरिज़ 'तांडव' में वर्तमान समय के मुद्दों का प्रदर्शन किया गया है जो आपको बोर नही होने देंगे| यदि आप एक धमाकेदार राजनीति कंटेंट की तलाश कर रहे हैं और सैफ अली खान की सियासी चाणक्य नीति का मजा लेना चाहते हैं तो इससे जरूर देख सकते हैं। यह वर्तमान स्थितियों को देखकर बनाई गई कहानी है जो आपको निराश नही करेगी|