निर्देशक: प्रियदर्शन
प्लेटफॉर्म: डिज़्नी प्लस हॉटस्टार
रेटिंग: **
इस बात से आप भी सहमत होंगें कि जब भी बॉलीवुड में बेहतरीन कॉमेडी फिल्मों का जिक्र किया जाता है तो प्रियदर्शन निर्देशित 3 से 4 फ़िल्में सभी की जुबान पर होती हैं| जिन लोगों ने पहले 'हंगामा' फिल्म को देख रखा था, उनके मन में 'हंगामा 2' के ट्रेलर को देखने के बाद काफी उत्साह था| आज डिज़्नी प्लस हॉटस्टार ने परेश रावल, शिल्पा शेट्टी और आशुतोष राणा स्टारर इस कहानी को लोगों के सामने पेश किया है| अगर आप इस फिल्म को देखने की सोच रहे हैं तो पहले इसके बारे में अच्छे से जान लें|
फिल्म 'हंगामा 2' की कहानी तीन परिवारों बजाज, तिवारी और कपूर के आस पास ही घुमती दिखाई देती है| कहानी शुरू होती है आकाश (मीज़ान जाफरी) की शादी की तैयारियों से, जहाँ उनका पापा रिटायर कर्नल कपूर (आशुतोष राणा) अपने सबसे करीबी दोस्त बजाज (मनोज जोशी) की बेटी से करवाना चाहता है। कपूर को उनका बेटा और पोते पोती बहुत ज्यादा परेशान करके रखते हैं, एक दिन वाणी (प्रणिता सुभाष) एक छोटी सी बच्ची को लेकर उनके घर पहुंचती है। यहाँ पहुंच कर वह आकाश के उपर इल्जाम लगाते हुए बोलती है कि वह उन्हें प्रेग्नेंट करके छोड़ कर चला गया था और ये उनकी ही बेटी है।
दूसरी ओर आकाश ये मानने के लिए तैयार ही नही है कि ये बच्ची उसकी है। वह अपने पापा से कहता है कि हम दोनों कॉलेज में एक दूसरे से प्यार करते थे, परन्तु अचानक से वाणी कहाँ चली गई थी, मुझे भी पता नही चला था| अब इस मामले को बजाज अपने बेटे की शादी से पहले खत्म करने का निर्णय लेता है| इसमें आकाश अपनी करीबी दोस्त अंजलि (शिल्पा शेट्टी) से मदद लेता नज़र आता है, बात करें अंजलि की तो कपूर जी उन्हें अपनी बेटी मानते हैं।
एक ओर अंजलि का पति राधे तिवारी (परेश रावल) हमेशा उसके उपर शक करता रहता है, वो किस से मिलती है, कहाँ जाती है, क्या कर रही है| राधे को मामले की पूरी जानकारी नही होती और वह मान भी लेता है कि अंजलि और आकाश का आपस में कुछ चकर है, इसी सस्पेंस के उपर फिल्म की सारी कहानी चलती है| क्या वह बच्ची आकाश की है और क्या उनकी शादी हो पाएगी, इस बात को जानने के लिए आपको प्रियदर्शन निर्देशित यह फिल्म देखनी होगी|
बात करें प्रियदर्शन के निर्देशन की तो उनकी हर फिल्म में आपको कॉमेडी का फुल ऑन तड़का मिलेगा, जिसके लिए वो लोगों के बिच काफी लोकप्रिय हैं| परन्तु 'हंगामा 2' में उन्होंने दर्शकों को कॉमेडी के नाम पर सोने के लिए कहा है| एक दो सीन को छोड़ दिया जाए तो पूरी फिल्म में हंसने के लिए तरस जाएंगें| कहानी शुरू से लेकर अंत तक कैसे चल रही है आपको पता भी नही चलेगा|
यूनुस सजावल द्वारा लिखी फिल्म की कहानी सबसे कमजोर पक्ष है, फिल्म के डायलॉग सुनने के बाद आप माथा पकड़ने के लिए मजबूर हो जाएंगें| एम एस अय्यपन नायर अपनी एडिटिंग के द्वारा कहानी को छोटा कर सकते थे जिससे दर्शक स्क्रीन के साथ जुड़े रहे, परन्तु वो भी अपने काम में असफल नज़र आए हैं|
अभिनय की बात करें तो आशुतोष राणा, टीकू तलसानिया और राजपाल यादव को छोड़कर हर किसी के हाव-भाव फिल्म के हर सीन में एक जैसे नज़र आए हैं| कुछ समय से परेश रावल भी अपने अभिनय का प्रदर्शन कुछ खास नही कर पा रहे हैं| मनोज जोशी एक दिग्गज कलाकार है उन्होंने इस बार भी लोगों का काफी ध्यान आकर्षित किया है| वहीं दूसरी ओर नए चेहरे मीजान जाफरी और प्रणिता भी अपने किरदारों फिट नही दिखे हैं| कई सालों बाद फिल्मों में कमबैक कर रही खूबसूरत बॉलीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी भी फैन्स को निराश करती नज़र आई हैं|
फिल्म का संगीत अनु मलिक ने कंपोज किया है, लोकप्रिय सिंगर मीका सिंह के 'हंगामा हो गया..' गाने को छोड़कर बाकि सभी गानों को आप भुलाना पसंद करेंगें|
अंत में यही कहा जा सकता है, अगर आप उम्मीद कर रहे हैं कि यह फिल्म साल 2003 में रिलीज़ हुए अक्षय खन्ना और आफताब शिवदसानी स्टारर 'हंगामा' जैसी होने वाली है तो आपको काफी निराश होना पड़ सकता है| प्रियदर्शन द्वारा निर्देशित 'हेराफेरी' और 'हंगामा' जैसी कॉमेडी की उम्मीद आप इस फिल्म से न ही करें तो अच्छा होगा|