निर्देशक: रणदीप हुड्डा
प्लेटफॉर्म: सिनेमाघर
रेटिंग: ***
हिंदी सिनेमा में अपनी दमदार एक्टिंग के लिए लोकप्रिय अभिनेता रणदीप हुड्डा पिछले काफ़ी दिनों से फिल्म `स्वातंत्र्य वीर सावरकर` के कारण सुर्ख़ियों में चल रहे हैं| कुछ दिनों पहले शेयर किए गए वीर सावरकर के `काले पानी` जेल वाले लुक को देखने के बाद इंटरनेट यूजर्स अपने होश खो बैठे थे| रणदीप का इतना ज्यादा बॉडी ट्रासफॉर्नेशन देखने के बाद हर कोई हैरान रह गया था| आज यानि 22 मार्च के दिन `स्वातंत्र्य वीर सावरकर` को बड़े पर्दे पर लोगों के सामने प्रस्तुत कर दिया गया है| इसकी कहानी में स्वतंत्रता सेनानी के आजादी में योगदान और जीवन को प्रदर्शित किया गया है| अगर आप इसको देखने की सोच रहे हैं तो उससे पहले यह जबरदस्त रिव्यू जरुर पढ़ कर जाएँ| यह आपकी मूवी को देखने या न देखने के फैसले में बहुत ज्यादा मदद करेगा|
`स्वातंत्र्य वीर सावरकर` फिल्म की स्टार्टिंग विनायक दामोदर सावरकर (रणदीप हुड्डा) के बच्चपन से ही शुरू होती है| वह अपनी कम उम्र में ही मां के प्यार को खो देते हैं और कुछ दिनों बाद ही एक गंभीर बीमारी के कारण उनके पिता की भी मृत्यु हो जाती है| लेकिन सावरकर के पिता मरने से पहले भी उनको बोल कर जाते हैं कि बेटा ये अंग्रेज बहुत पैसे वाले और बुरे लोग हैं इनसे हमेशा दूर ही रहना तुम|
अपने पिता के मरने के बाद भी विनायक दामोदर सावरकर क्रांति के पथ से नही हटता है| वह पढ़ते-पढ़ते ही फर्ग्युसन कॉलेज प्रोफ़ेसर को नज़रंदाज़ करते हुए एक अभिनव भारत सोसाइटी बना लेते हैं| सावरकर को अपने बड़े भाई गणेश दामोदर सावरकर (अमित सियाल) का हर जगह पर सहयोग प्राप्त होता है|
फ़िर उनका भाई एक अमीर लड़की से सावरकर की शादी करा देता है ताकि वह लंदन में रहकर अपनी लॉ की पढ़ाई कर सके| यहीं से एक प्रेम कहानी शुरू होती है यानि विनायक और यमुनाबाई (अंकिता लोखंडे) शादी करने के बाद विदेश में रहने लग जाते हैं| वहां पर सावरकर को अपने क्रांतिकारी कार्यों की वजह से भारत जेल में ट्रांसफ़र कर दिया जाता है| उनके कार्यों को देखने के बाद अंग्रेजी सरकार उनको काले पानी जेल की सजा सुना देती है| इसके बाद विनायक दामोदर सावरकर का जीवन एक नया मोड़ लेता है जिसको जानने के लिए आपको यह रिव्यू पूरा पढ़ना होगा|
कैसी है कलाकारों की एक्टिंग?
इस बात का सभी को पता है कि रणदीप हुड्डा बॉलीवुड के ऐसे कलाकार हैं जो अपने छोटे से किरदार से भी एक फ़िल्म में जान डाल देते हैं| यहाँ पर भी वह कुछ ऐसा ही करते नज़र आए हैं, अगर हम कहें की रणदीप हुड्डा के जबरदस्त अभिनय के कारण ही फ़िल्म इतना अच्छा कर पा रही है तो गलत नही होगा| अभिनेता के काले पानी जेल बॉडी ट्रांसफॉर्मेशन ने दर्शकों के भी होश उड़ा दिए हैं| उनके भाई के रोल में अमित सियाल स्क्रीन पर एकदम स्टिक दिखाई दिए हैं| बात करें अंकिता लोखंडे को तो वह स्क्रीन पर कम नज़र आई है लेकिन उनका छोटा सा किरदार भी लाजवाब रहा है| इन सभी के अलावा मृणाल दत्त, राजेश खेरा और बाकि कलाकार भी अपने किरदारों में शानदार नज़र आए हैं| पूरी फ़िल्म में एक्टिंग का पक्ष बहुत ही मजबूत और जबरदस्त नज़र आया है|
कैसा है निर्देशन कार्य?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रणदीप हुड्डा ने `स्वातंत्र्य वीर सावरकर` के द्वारा पहली बार निर्देशन में अपने हाथ आजमाए हैं| इसके अलावा उन्होंने इसकी कहानी को खुद लिखा और निर्माण भी किया है| बायोपिक बनाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी काम निर्देशन का ही होता है| कैसे कहानी को दिखाना है कैसे कलाकारों से काम लेना है ये सभी काम निर्देशक के होते हैं| एक दो सीन को छोड़ दिया जाए तो रणदीप ने अपना काम अच्छे तरीके से निभाया है|
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`स्वातंत्र्य वीर सावरकर` फिल्म में सिर्फ़ विनायक दामोदर सावरक को ही क्रांतिकारी बताया गया है| जबकि आज़ादी के लिए तो न जाने कितने वीर जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी है| इसका यह पक्ष कमजोर भी नज़र आता है क्योंकि सिर्फ़ एक को दिखाने के लिए आप बाकि सभी को नही भूल सकते| अंत में हम यही कहेंगे कि अगर आप रणदीप हुड्डा की एक्टिंग के दीवाने हैं तो यह मूवी आपको बहुत ज्यादा पसंद आएगी| लेकिन अगर आप एक अच्छी क्रांतिकारी कहानी को देखने की सोच रहे हैं तो यह फ़िल्म थोड़ा निराश कर सकती है|