सफेद कुर्ता पहने और माथे पर तिलक लगाए संजय भावुक नजर आ रहे थे। पत्नी मान्यता के साथ कार में बैठने से पहले उन्होंने भीड़ का हाथ हिलाकर अभिवादन किया।
संजय जब दक्षिणी मुंबई के सत्र अदालत परिसर में आत्मसमर्पण के लिए पहुंचे तो यहां भी लोगों की भारी भीड़ थी। लोग उनकी एक झलक पाने के लिए बेचैन हो रहे थे, जिसके कारण वह कार से नहीं निकल पाए। निर्देशक महेश भट्ट भी उनके साथ थे। उन्होंने भीड़ से संजय को रास्ता देने की अपील की, जिसके बाद संजय अपनी कार से बाहर निकले।
संजय के वकील रिजवान मर्चेट ने कहा कि भीड़ की धक्कामुक्की के दौरान अभिनेता को सीने में चोट आई है। पत्नी मान्यता व बहन प्रिया दत्त के साथ संजय कार से बाहर निकले और भीड़ से गुजारिश की कि उन्हें आत्मसमर्पण के लिए जाने दें। उन्होंने कोई बयान नहीं दिया।
इसके बाद सुरक्षकर्मी संजय को वहां से टाडा की विशेष अदालत में ले गए, जहां आत्मसमर्पण के बाद की औपचारिकताएं पूरी की गईं।
अधिकारियों ने कहा कि औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उन्हें उच्च सुरक्षा वाले आर्थर रोड जेल ले जाया जाएगा। यहां से उन्हें पुणे, नासिक या नागपुर के किसी जेल में भेज दिया जाएगा।
पुलिस अधिकारियों ने इस पर हालांकि चुप्पी साध रखी है कि संजय को कहां ले जाया जाएगा, लेकिन सूत्रों का कहना है कि उन्हें पुणे की यरवडा जेल ले जाया जा सकता है।
संजय के वकील ने 42 माह की कैद के दौरान उन्हें घर का खाना, बिस्तर तथा कंबल, दवाइयां व इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट मुहैया कराने तथा परिवार से मिलने की अनुमति देने का अनुरोध किया था, लेकिन विशेष न्यायाधीश जी. ए. सनप ने उन्हें केवल एक माह के लिए घर के भोजन और दवाओं की अनुमति दी, जबकि अन्य मांगों को खारिज कर दिया।
सर्वोच्च न्यायालय ने इसी सप्ताह संजय की याचिका नामंजूर कर दी थी, जिसमें उन्होंने आत्मसमर्पण के लिए अतिरिक्त समय का अनुरोध किया था।
संजय को हथियार अधिनियम के तहत अवैध ढंग से हथियार रखने का दोषी ठहराया गया है। इस मामले में वह पहले ही 18 माह की सजा पूरी कर चुके हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें दोषी ठहराए जाने के बम्बई उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा, पर उनकी सजा छह साल से घटाकर पांच साल कर दी।