झा ने एक विशेष साक्षात्कार में आईएएनएस को बताया, "लोग हर प्रकार की फिल्मों का लुत्फ उठाते हैं। 'कहानी' और 'राजनीति' जैसी फिल्मों ने मनोरंजन के मूल्य बदल दिए हैं। ऐसा नहीं है कि मनोरंजन के लिए नाच-गाना और हास्य जरूरी है। गंभीर विषयों वाली फिल्मों में भी मनोरंजन हो सकता है।"
झा ने 1984 में फिल्म 'हिप हिप हुर्रे' से निर्देशन की शुरुआत की थी। उन्होंने कहा कि यदि मनोरंजन प्रधान फिल्में महत्वपूर्ण हैं तो गंभीर विषयों पर बनने वाली फिल्में भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं।
गंभीर फिल्में बनाने के लिए पहचाने जाने वाले झा हल्के -फुल्के विषय वाली फिल्म बनाने में भी रुचि रखते हैं। उन्होंने कहा कि फिल्म के विषय के साथ-साथ मजबूत कहानी भी उनके लिए मायने रखती है।
झा ने अब तक 'दामुल', 'गंगाजल', 'आरक्षण' और 'चक्रव्यूह' जैसी फिल्में बनाई हैं। उन्होंने कहा, "मेरी फिल्मों के मुद्दे समाज से जुड़े होते हैं। मैं कोई भी विषय उठाकर उस पर फिल्म नहीं बनाता। मेरे पास एक संवेदनशील कहानी होती है।"
झा की आने वाली फिल्म 'सत्याग्रह' भी समाज में फैले भ्रष्टाचार के बारे में है। फिल्म के बारे में बात करते हुए झा ने कहा, "यह एक बाप-बेटे की कहानी है। जब मुझे इस कहानी के बारे में पता चला मैंने आज के वर्तमान समाज के विरोध के रूप में इसे तैयार किया।"
झा की दूसरी फिल्मों की तरह ही 'सत्याग्रह' के कलाकार अमिताभ बच्चन, अजय देवगन, अर्जुन रामपाल और करीना कपूर फिल्म के शुरुआती चरण से इसके साथ जुड़े रहे।
एक फिल्मकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती दर्शकों और समीक्षकों की पसंद के बीच संतुलन बनाना होता है।
'सत्याग्रह' 23 अगस्त को प्रदर्शित हो रही है।