निर्देशक : रोहित शेट्टी
संगीत : शेखर रविजानी, विशाल ददलानी
रोहित शेट्टी की फ़िल्मी कलाकारी और दीपिका-शाहरुख़ की जोड़ी ये तीनों ही ऐसी शर्तें हैं, जो दर्शकों को लुभाने के लिए काफी हैं। अगर इनके साथ फिल्म का प्रोमोशन ऐसा हो जैसे इस बार शाहरुख ने 'चेन्नई एक्सप्रेस' के लिए किया हैं, तो वास्तव में फिल्म के प्रति दर्शकों उम्मीदे हद आगे ज्यादा बढ़ जाती हैं। लेकिन ये सब चीजे तभी सफल होती हैं।
ऐसे में फिल्म 'चेन्नई एक्सप्रेस' को देखने के बाद ये ही कहा जा सकता हैं कि जितनी उम्मीदे फिल्म के दमदार पैकेज को देखते हुए लगाईं जा रही थी फिल्म उस उंचाई को छूने में शायद उतनी सफल नहीं होती।
रोहित अब तक की 'गोलमाल' सिरीज़ की हिट कॉमेडी फिल्मों को देखने वाले दर्शक अगर उनकी 'चेन्नई एक्सप्रेस' की तुलना रोहित की पहली फिल्मों के हिसाब से करें तो बेहद निराशा ही हाथ लगेगी। हालाँकि रोहित ने फिल्म में एक्शन, रोमांस, ड्रामा और फिल्म की खूबसूरत लोकेशन जैसे मसालों के साथ दीपिका और शाहरुख को पेश किया हैं। लेकिन रोहित इन सब चीजों को उस तरीके से व्यवस्थित नहीं कर पाए जिस तरह की दर्शकों ने उम्मीद की थी। या यूँ भी कह सकते हैं कि निर्देशक रोहित फिल्म में अपने स्वाभाविक बहाव से बहार आ गये हैं। उनकी फिल्मों में मनोरंजन की गाडी पटरी से उतरती सी नज़र आई हैं।
फिल्म की कहानी कुछ इस तरह से हैं, शाहरुख खान यानि राहुल जब आठ साल का था तभी उसके माता-पिता की मृत्यु हो जाती हैं। अब उसके घर में उसके दादा-दादी बचे हैं।फिर एक दिन अचानक से उसके दादा की भी मृत्यु हो जाती हैं। मरते वक़्त राहुल के दादा की आखिरी इच्छा यह थी कि उनकी अस्थिया रामेश्वरम में जाकर प्रवाहित की जाए। राहुल 40 साल का हो जाता हैं लेकिन न अब तक दादाजी की अस्थिया प्रवाहित होती हैं और न ही राहुल की शादी।
मौज मस्ती में यकीन करने वाला राहुल दोस्तों के साथ गोवा चाहता हैं, लेकिन उसे दादी के कहने पर अपने दादा जी की अस्थियाँ लेके रामेश्वरम जाना पड़ता हैं। वहां जाने के लिए वह मुंबई से ट्रेन पकड़ लेता हैं। इस ट्रेन में राहुल की मुलाक़ात मीना उर्फ मीनाम्मा (दीपिका पादुकोण) से होती है। जो घर से भागी हुई हैं। और अब मीना को जबरन घर ले जाया जा रहा हैं। ऐसे में ट्रेन में कुछ ऐसे हालात बनते हैं कि राहुल को मीना के साथ उसके गाँव 'कोम्बन' जाना पड़ता हैं। जहाँ वह मीनाम्मा के पिता दुर्गेश्वरा अजहागुसुंदरम (सथ्यराज) से मिलता हैं, जो एक डॉन हैं और जिसका पूरे गाँव में दबदबा है। वह मीनाम्मा की शादी गांव में ही रहने वाले तांगाबल्ली (निकितन धीर) के साथ कराना चाहते हैं।
लेकिन मीनाम्मा ऐसा नहीं करना चाहती। ऐसे में जब राहुल की राहे उस से टकराती हैं, तो दोनों को आपस में प्यार हो जाता हैं। लेकिन दोनों के रीति-रिवाज रहन सहन सब अलग होने की वजह से दोनों के बीच दिवार आ जाती हैं लेकिन ये दोनों हार मानने के लिए तैयार नहीं हैं।
फिल्म में हिंदी के साथ तमिल को मिक्स कर शरारती चुटकुलों और हास्य का भरपूर प्रयोग किया गया हैं जो कहीं-कही कामयाब भी हो जाते हैं। वैसे प्रियंका को तमिल बोलते हुए देखना बेहद मनोरंजक हैं। शाहरुख को देख कर ऐसा कुछ नया नहीं लगता। शाहरुख के एक्शन सीन के अलावा उनके लिए फिल्म में कुछ भी नया नहीं हैं। शाहरुख हमेशा से ही एक्शन सीन से हर फिल्म में बचने की कोशिश ही करते रहे हैं इसलिए इस फिल्म में भी ऐसा ही लगता हैं जैसे उनसे जबरदस्ती करवाए गए हो। वैसे अगर फिल्मांकन के बारे में बात की जाए तो फिल्मांकन के मामले में यह दर्शकों के लिए नया और ताज़ा हैं। ऐसा फिल्मांकन बहुत ही कम फिल्मों में देखने को मिलता हैं।
फिल्म के संगीत पर गौर किया जाए तो हनी सिंह का गाया 'लुंगी डांस' काफी लोकप्रिय हो चुका हैं। अगर दूसरे गानों जैसे 'कश्मीर मैं तू कन्याकुमारी' वन, टू, थ्री , फोर और तितली की बात करें तो ये अपना कुछ खास असर नहीं दिखा सके हाँ, गाने 'कश्मीर मैं तू कन्याकुमारी' में फिल्मांकन के लिए रोहित की दाद देनी पड़ेगी। लेकिन साथ ही ये भी सुनने में आया हैं कि इस पर रोहित ने पैसा भी खूब बहाया हैं।
अगर आप शाहरुख के फैन हैं तो आप बोर हो सकते हैं। क्योंकि फिल्म में उनके किरदार में कुछ भी ऐसा नया नहीं हैं जो पहले कभी आपने ना देखा हो। लेकिन अगर फिल्म में कुछ नया देखना हैं तो वह हैं फिल्म की लोकेशन और हिंदी तमिल कमिस्ट्री का एक साथ तड़का। अगर दीपिका के फैन्स हैं तो उन्हें इल्ले-इल्ले बोलते देख कर मनोरंजन कर सकते हैं।