अर्जुन महसूस करते हैं कि वे फिल्म जगत में फिल्म दर फिल्म बढ़े। वे अपने इस 12 वर्षो के सफर को 'शानदार' और 'सुखद' पाते हैं।
'प्यार इश्क और मोहब्बत' जैसी असफल फिल्म से शुरुआत करने वाले अर्जुन ने वर्ष 2001 में असफल फिल्मों की झड़ी लगा दी थी। वर्ष 2006 में 'डॉन' की सफलता और उसके बाद 'हनीमून ट्रेवल्स प्राइवेट लिमिटेड' और 'ओम शांति ओम' ने उनका एक नया रूप गढ़ा।
इसका लाभ उन्हें 'रॉक ऑन' में मिला और इसके लिए उन्हें पुरस्कार भी मिला। इसके बाद 'राजनीति' व 'चक्रव्यूह' की सफलता ने फिल्मजगत में उनकी जगह मजबूत कर दी।
बतौर रैंप मॉडल अपना सफर शुरू करने वाले अर्जुन ने आईएएनएस से एक साक्षात्कार में कहा, "फिल्म दर फिल्म मेरा प्रदर्शन निखर रहा है। मेरे लिए यह देखना जरूरी है कि मेरे चरित्र की शुरुआत कहां है और यह कहां खत्म होता है।"
फिल्म चुनते वक्त आपके मानक क्या होते हैं? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, "मैं मेरे दृश्य और भूमिका देखता हूं। मुझे यह देखने की जरूरत होती है कि मेरे पात्र का शुरुआत बिंदु क्या है और वह कहां पहुंचता है। मैं अगर सफर समझ पाता हूं, तब आगे जाता हूं। यह सभी फिल्मों के लिए है।"
अर्जुन स्वीकार करते हैं कि एक प्रतिभाशाली निर्देशक और कलाकार इस काम को आसान कर देते हैं।
उन्होंने कहा, "यह फिल्म को लेकर है-निर्देशक क्या कहने का प्रयास कर रहा है और क्या वो ऐसा फिल्म को उबाऊ और नीरस किए बिना करने में समर्थ है। आप जब बेहतरीन कलाकारों संग काम कर रहे हों, तो आपका काम आसान हो जाता है।"
भविष्य की कार्ययोजनाओं के बारे में उन्होंने कहा, "आगे, मैं 'विलेन' और उसके बाद 'रॉय' करने जा रहा हूं।"