'जाने तू या जाने ना' और 'धोबी घाट' फिल्मों में अपने अभिनय से चर्चा में आए प्रतीक ने आईएएनएस से कहा, "मैं कठिन मेहनत करने और अपना बेहतरीन शॉट देने में विश्वास करता हूं। मेरी फिल्में बॉक्स आफिस पर अच्छा काम करती है या नहीं, यह मेरे हाथ में नहीं है। मैं आलोचना को हमेशा सकारात्मक रूप से लेता हूं और अपना अच्छा देने की कोशिश करता हूं।"
उनकी पिछली फिल्में 'माइ फ्रेंड पिंटो' और 'एक दीवाना था' को बड़ी सफलता नहीं मिली, और मनीष तिवारी निर्देशित विलियम शेक्सपीयर के नाटक 'रोमियो एंड जूलियट' पर आधारित 'इशक' को भी बॉक्स आफिस पर अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली।
लेकिन (26) प्रतीक अपने करियर से खुश हैं।
उन्होंने कहा, "मैं अपने काम से संतुष्ट हूं, लेकिन मैं एक तरह की भूमिका नहीं करना चाहता। मैं वे फिल्में करता हूं जो मुझसे जुड़ी होती हैं। यह सीखने की रोमांचक यात्रा है। मेरा मकसद अपनी फिल्म के जरिए लोगों को खुश करना है।"
अभिनेता-नेता राज बब्बर और दिवंगत अभिनेत्री स्मिता पाटिल के बेटे का मानना है कि कलाकारों की संतान होने की वजह से सिनेमा उद्योग में मदद मिलती है।