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हर लड़की मेरी तरह खुशकिस्मत नहीं होती : प्रियंका

हर लड़की मेरी तरह खुशकिस्मत नहीं होती : प्रियंका
बरेली जैसे छोटे से शहर से बोस्टन तक का सफर तय करने वाली अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा अब एक रोल मॉडल बन चुकी हैं। उन्होंने साबित कर दिया है कि अगर मां-बाप जीवनपथ चुनने की आजादी दें तो बच्चे चमत्कार कर सकते हैं। वे कहती हैं कि भारत को बच्चियों के प्रति नजरिया बदलने की बेहद जरूरत है।

प्रियंका अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीने देने के लिए अपने अभिभावकों की आभारी हैं।

आईएएनएस से बातचीत में उन्होंने कहा, "मैं बेहद खुशकिस्मत हूं.. हर कन्या संतान मेरी तरह खुशकिस्मत नहीं होती। मैं देश में कन्या संतान सशक्तीकरण का समर्थन करती हूं।"

31 वर्षीय प्रियंका ने कहा, "मैं एक छोटे से शहर और मध्यवर्गीय परिवार से आई हूं। मैं किसी समृद्ध पृष्ठभूमि से नहीं हूं, मैं उस जगह से नहीं हूं जहां जिंदगी में पब या डिस्कोथैक्स थे। इसके बावजूद, मैंने जो बनना चाहा, उसके लिए मेरे मां-बाप ने एक अवसर दिया, उन्होंने मुझे पढ़ाया, मुझे जीवनमूल्य दिए और हमेशा एक अच्छी जिंदगी दी।"

एनडीटीवी-वेदांता के 'आवर गर्ल्स आवर प्राइड कैम्पेन' का नया चेहरा इस अभिनेत्री-गायिका ने कहा, "उनके (कुछ लड़कियों) पास तो कुछ कहने या उनके जीवन के लिए विकल्प या उनका भविष्य क्या होगा, यह कहने भर का सामथ्र्य तक नहीं होता। देश में बदलाव चाहिए।"

जमशेदपुर में जन्मी प्रियंका ने शिशु अधिकारों और खासकर कन्या संतान के अधिकारों के प्रति आवाज बुलंद की है।

क्या उन्होंने कोई बदलाव देखा? इस सवाल पर यूनिसेफ गुडविल एम्बेस्डर प्रियंका ने कहा, "मैंने पाया।"

एक क्षण सोचने के बाद उन्होंने कहा, "हम भांति-भांति के लोगों वाले देश से हैं। देश, जिसमें इतने सारे विचार, धर्म और संस्कृति हों, वहां बदलाव लाना कठिन तो है लेकिन नामुमकिन नहीं। भारतीय होने के नाते, हमें यह स्वीकार करने की जरूरत है।

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