इस बार 9 अगस्त को गणेश चतुर्थी के उपलक्ष में 'पीपुल्स फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स' (पेटा) इंडिया' का लक्ष्य हैं, सर्कस के हाथियों की पीड़ा से लोगों को अवगत करा कर उन पर हो रहे अत्याचार को रोकना। जिसके लिए पेटा ने इस गणेश चतुर्थी के अवसर पर एक कैम्पेन का आयोजन किया हैं। इस कैमपेन में सेक्सी स्टार लॉरेन गॉटलिब ने भी भाग लिया। कैम्पेन के दौरान लॉरेन ने अपने फैन्स से ये आग्रह किया कि वह सर्कस देखना बंद कर दे ताकि इन्हें और बढ़ावा ना मिल सके और जानवरों पर हो रहे अत्याचार बंद हो जाए।
2005 में, अमेरिकी टीवी पर प्रशारती डांसिंग शो 'सो यू थिंक यू कैन डांस-3' से अपने करियर की शुरुआत करने वाली तेज-तर्रार लॉरेन गॉटलिब ने हिंदी सिनेमा में अपनी शुरुआत 2013 में आई फिल्म 'एबीसी डी' एनी बॉडी कैन डांस' से की हैं। इसके बाद वह 'झलक दिखला जा-6' में भी अपने डांस से मंच पर आग लगा चुकी हैं। लेकिन उनका मानना हैं कि कोई भी प्रतिभा प्रतिबन्ध लगाने से बहार नहीं आ सकती। उसके लिए आजादी होना बहुत जरुरी हैं।
वह कहती हैं, "जब मैं डांस करती हूँ। मुझे पता होता हैं कि मैं आजाद हूँ और मैं खुश हूँ, और ये ही चीज हैं जो मेरी प्रतिभा के सबसे बेहतर रूप को बहार ले कर आती हैं। वह कहती हैं, हम सभी आजाद पैदा हुए हैं। मुझे लगता हैं कि जानवरों को भी अधिकार हैं अपनी सवाभाविक आदतों को जीने का और उन्हें इस तरह से मानव संतुष्टि के लिए मंच पर जंजीरों और बंधनों में जकड कर नहीं रखना चाहिए। जब मैं जानवरों को, इंसानों के मनोरंजन के लिए, सर्कस में प्रयोग होते हुए देखती हूँ तो मुझे गुलामो वाला ख्याल आता हैं। जानवरों को भी अपनी आजादी प्यारी होती हैं, जैसे हमे होती हैं। लेकिन सर्कस उनकी आजादी को चुरा लेते हैं और जानवर बिना किसी जुर्म के कैदियों जैसा जीवन जीते हैं। वह कहती हैं कि मैं लोगों से अनुरोध करती हूँ कि वह इस तरह के निर्दयी सर्कस में न जाकर इन्हें हतोत्साहित करे।"
अगर सर्कस के इन जानवरों पर अत्याचारों की बात की जाए तो, पुराने कारावास में रखे गये इन हाथियों और दूसरे जानवरों को शारीरिक शोषण और मानसिक पीड़ा जैसी स्थितियों से गुजरना पड़ता हैं। उन्हें सचेतक और अन्य हथियारों जैसे भारी अंकुश और इस्पात की छड़ से दर्द भरे दंड देने के लिए पीटा जाता हैं। और यह सब उनके साथ भ्रामक और अप्राकृतिक चाल और करतब करवाने के लिए किया जाता हैं। सर्कस में दिखने वाले ये जानवर ऐसा इसलिए नहीं करते क्योंकि उन्हें ऐसा करना अच्छा लगता हैं बल्कि वे ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उन्हें हिंसक दंड का डर होता हैं।
यहां तक कि जब वे प्रदर्शन नहीं कर रहे होते हैं, तो भी हाथी और दूसरे जानवर सर्कस में जीवन भर का दुःख भोग रहे होते हैं। कुत्तों को गंदे पिंजरे में रखा जाता हैं जहाँ से वे बड़ी मुश्किल से बहार आते हैं। वहीं पक्षियों के पंखो को क्लिप कर दिया जाता हैं ताकि वे उड़ ना सके साथ ही उन्हें भी छोटे-छोटे पिंजरों में कैद कर रख दिया जाता हैं। घोड़ों को छोटी सी रस्सी से बाँध कर रखा जाता हैं। और हाथियों को लगातार बंधक बना कर रखा जाता हैं।
वैसे इस तरफ सरकार ने पहले भी कदम बढाते ही भालू, बंदरों, चीतों, पैंथर्स, बैल और शेर के सर्कस में काम कराने पर रोक लगा रखी हैं। लेकिन अब हाथियों पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए पेटा इंडिया ने सरकार से बोलीविया, साइप्रस, ग्रीस और बोस्निया और हर्जेगोविना के नेतृत्व का पालन करने के लिए गुहार लगाईं हैं।