वह कहती हैं, "यह फिल्म एक बच्चे और बकरे के बीच बनी बॉन्डिंग की कहानी है। बच्चों को अक्सर फिल्म स्टार्स से प्यार होता है और अपने पालतू जानवरों का नाम वे उनके नाम पर रख लेते हैं। इसलिए हमने बकरे का नाम शाहरुख दिया। वैसे भी जिस हाट पर हम बकरे को खरीदने गए थे, उसने बहुत ही सटीक टिप्पणी की थी। दुकानदार ने मुझसे कहा यहां तो शाहरुख और सलमान रोज बिकते हैं।"
जानकी इससे पहले चाइल्ड लेबर मुद्दे पर फिल्म 'कुट्टी' के लिए राष्ट्रिय पुरूस्कार हासिल कर चुकी हैं। वह फिल्म में बकरे का नाम शाहरुख रखे जाने को लेकर कहती हैं "वहां आए लगभग पचास फीसदी जानवरों के नाम फ़िल्मी अभिनेताओं के नाम पर रखे गये थे। यह नाम रखने के पीछे उनका तर्क भी था। जानकी कहती हैं, 'शाह का मतलब है एंपरर और रुख का मतलब है फेस। यानी एंपरर का फेस। तो यह बकरा भी हमारी फिल्म का लीड हीरो है। दूसरी बात इसके नखरे भी किसी स्टार से कम नहीं थे। यहां तक कि जमीन पर पड़ी घास वो नहीं खाता था, वह भी उसे हाथ में पकड़ कर खिलानी पड़ती थी।' यह फिल्म भी 'पीपली लाइव' और 'वेलकम टू सज्जनपुर' की तरह रूरल इंडिया की कहानी कहेगी। फिल्म में अंशुमन झा और मंझे हुए थिएटर आर्टिस्ट काम कर रहे हैं।