बल्कि इसमें फोटोग्राफी में महारत रखने वाले उन कैमरामैन की प्रशंसनीय कलाकारी भी है, जिन्होंने अपने सक्षम प्रयास से इन सिने आकाशगंगा के सितारों की सुन्दरता को कैमरे में संजोया है। फोटो पत्रकारिता के क्षेत्र में ऐसा ही एक नाम है आर टी चावला का, जिन्होंने बॉलीवुड के इन सबसे खूबसूरत चेहरों को न सिर्फ अपने कैमरे में कैप्चर किया, बल्कि अपनी फोटोग्राफी से उन्हें और भी ज्यादा खूबसूरत बना दिया।
पेश हैं आर टी चावला से बातचीत के कुछ अंश-
जिस युग में आपने ये क्षेत्र अपने करियर के रूप में चुना उस वक़्त ये एक अपारंपरिक विकल्प था। फिर ये आपने कैसे किया?
आप कह सकते हैं, कि यह संयोग से ही हुआ। मैंने इस क्षेत्र में अपना पहल कदम सालों पहले उस समय रखा था। जब 1988 में धर्मेंद्र की फिल्म 'ऐलान-ए-जंग' की शूटिंग चल रही थी। वहां मैंने शूट के कुछ चित्र क्लिक किये थे। जिन्हें मैंने अभिनेता और क्रू के सदस्यों को दिखाया था। उन्हें वह फ़ोटो बेहद पसंद आए थे। उस वक़्त मेरे द्वारा क्लिक किये उन फ़ोटो को उस युग के प्रसिद्ध कैमरामैन जोगिंदर सिंह ने देख कर न केवल मेरा मनोबल बढ़ाया, बल्कि मुझे मुंबई आने के लिए भी कहा। हालांकि पहले मैंने इसे इतनी गंभीरता से नहीं लिया। मुझे लगा कि यह बस एक साधारण सा निमंत्रण हैं। लेकिन एक दिन मैंने मुंबई जाने और सपनों के शहर में जाकर कोशिश करने का फैसला किया।
शुरू में तो मैंने सिर्फ त्योहारों, जैसे गणेश उत्सव को ही कैप्चर किया। लेकिन धीरे-धीरे यह बॉलीवुड के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया। मुझे अब भी याद हैं, मैंने बॉलीवुड में अपनी पहली शुरुआत फिल्म 'पत्थर का इंसान' से की थी।
आप मुंबई नगरी से नहीं है। तो क्या कभी आपने यह महसूस किया कि आप एक बाहरी व्यक्ति हैं?
नहीं, उस समय के सभी कलाकार न सिर्फ बेहद सहायक थे, बल्कि उत्साह बढ़ाने का काम भी करते थे। जिनमें से एक नाम हैं जिसे मैं कभी भी नहीं भूल सकता, और वो नाम हैं विनोद खन्ना का। उस वक़्त विनोद खन्ना के लिए सबके मन में एक धारणा होती थी,कि वह बेहद चूज़ी कलाकार हैं और सिर्फ उन्ही के साथ काम करना पसंद करते थे जिन पर उन्हें यकीन हो। लेकिन जब मैंने उन्हें अपनी इच्छा के बारे में बताया तो वह एक बार में ही सहमत हो गये और लगातार मेरे लिए एक सहायक की भूमिका निभाई।
आपका बिलकुल एक अलग क्षेत्र था, तो क्या कहीं आपने बाकी लोगों से अलग महसूस किया?
(हँसते हुए) मैं शैक्षिक मामले में औसत दर्जे का था। साथ ही किताबों के साथ मेरी इतनी अच्छी बनती भी नहीं थी। तो मेरे पास डॉक्टर या इंजीनियर बनने का तो कोई चुनाव ही नहीं था। लेकिन हाँ फोटोग्राफ मेरा पैशन था। इसलिए मैंने कभी भी अपने इस अपरम्परागत करियर को लेकर असहज महसूस नहीं किया।
कैरियर के इस तरह के एक लंबे समय के पाठ्यक्रम में आपने बहुत सारे फ़िल्मी सितारों के साथ काम किया होगा। आपको सबसे ज्यादा सुन्दर चेहरा और इंसान कौन लगा?
जहाँ तक किसी एक सबसे सुंदर चेहरे को चुनने की बात है, तो ये बेहद मुश्किल काम है। लेकिन अगर चुनना ही पड़े तो मैं श्रीदेवी और माधुरी का नाम लेना चाहूँगा। इन दोनों के ही फ़ीचर बड़े अच्छे है। लेकिन जहाँ तक उन्हें कैमरे में कैप्चर करने की बात है, तो मैं माधुरी का नाम लूँगा, क्योंकि उनका नाम मैं आसानी से शीर्ष पर रख सकता हूँ।
जहाँ तक श्रीदेवी की बात हैं, निसंदेह वह बॉलीवुड की कुछ बेहद खूबसूरत अभिनेत्रियों में से एक हैं। लेकिन अगर उन्हें कैमरे में कैप्चर करने का सवाल हैं, तो केवल कुछ एंगल से ही उनकी सुंदरता उभर कर सामने आती हैं। लेकिन माधुरी के मामले में ये ज़रूरी नहीं हैं, कि किस एंगल से उन्हें कैप्चर किया जा रहा हैं।
आपके हिसाब से इंडस्ट्री का सबसे विनम्र पुरुष कौन हैं?
निस्संदेह मैं विनोद खन्ना का नाम लूँगा। लेकिन हाँ ठीक उसी तरह मैं शाहरुख खान का नाम भी लूँगा। शाहरुख का रवैया और विश्वास ही है, जिसने उन्हें एक सुपर स्टार बना दिया। 90 के दशक में जब शाहरुख़ रवीना टंडन के साथ फिल्म 'ज़माना दीवाना' की शूटिंग कर रहे थे। उस वक़्त आम तौर पर लोग सह-अभिनेत्रियों के साथ फ़ोटो खिंचवाने से बचा करते थे। लेकिन शाहरुख ने कभी इस तरह की बातों की परवाह नहीं की।
जब आपने फ़ोटोग्राफी शुरू की थी, उस युग में और वर्तमान परिदृश्य में आप कुछ फर्क महसूस करते हैं?
निश्चित रूप से ऐसा हैं, उस युग में हम जब काम किया करते थे, तो हम अभिनेता और अभिनेत्रियों के साथ बेहद सौहार्दपूर्ण संबंध साझा भी किया करते थे। मैंने बहुत सी अभिनेत्रियों जैसे दिव्या भारती, शिल्प शेट्टी, कीमी काटकर और इनके आलावा भी बहुत सी अभिनेत्रियों के साथ काम किया है। उस वक़्त हमारे बीच काम के साथ एक भावनात्मक रिश्ता भी हुआ करता था।
लेकिन इस युग में, मायने बदल गये है। आज के फोटोग्राफरों को लगता हैं कि एक हद तक जाकर एक्सपोज़ की फ़ोटोग्राफी करना ही एक सफल और बड़ी पत्रकारिता है। अभी कुछ ही दिनों पहले, मुझे के नए चलन के बारे में पता चला हैं कि 'पेज़-3' फोटोग्राफी के नए प्रोफेशन के तौर पर उभरा हैं जिसे 'पापा-राजू' का नाम दिया गया है। जिसमें कैमरा मैन सितारों के निजी जीवन को कैप्चर करने के लिए तैयार रहते हैं। जो मेरे हिसाब से इस पेशे का एक सही तरीका नहीं है।
उनके लिए जो पेज-3 फोटोग्राफी में अपना करियर बनाना चाहते हैं, आप क्या कहना चाहेंगे?
इसके लिए मैं यही कहना चाहूँगा कि कठिन परिश्रम के अलावा और कोई चारा नहीं हैं। तो मैं जो सलाह दे सकता हूँ वह यह हैं कि अपना एक उद्देश्य तय करो और उस पर तब तक चलते रहो जब तक वह आपको मिल न जाए।