कई लोगों का मानना है कि फिल्म 'लंचबॉक्स' को भारत की तरफ से ऑस्कर में भेजने के लिए चुना जाना चाहिए था।
कोरिया ने अपनी पहली फीचर फिल्म के बारे में कहा, "जिन लोगों ने फिल्म के बारे में सुना तक नहीं है, देखा तक नहीं है, वे लोग भी फिल्म की आलोचना कर रहे हैं। यह ठीक बात नहीं है।"
कोरिया ने विज्ञापन फिल्मों की दुनिया से फिल्म निर्देशन और निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा है। उन्होंने कहा, "लंचबॉक्स' और 'द गुड रोड' भाई-बहन जैसे हैं।"
यह पूछे जाने पर कि बॉलीवुड में यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि रितेश बत्रा की फिल्म 'लंचबॉक्स' को ऑस्कर के लिए चुना जाना था, आपका क्या विचार है, कोरिया ने कहा, "कुछ लोग इस फैसले से दुखी और परेशान लग रहे हैं। मैं बस उम्मीद कर सकता हूं कि कुछ समय बाद वे लोग इसके लिए परेशान होना बंद कर देंगे। ये मौसमी लोग हैं और अब इनको काफी समय हो गया है।"
यह पूछे जाने पर कि उनकी फिल्म के बारे में प्रकाशित समीक्षाओं के मुताबिक फिल्म घटिया दर्जे की है और इसकी कहानी दर्शकों और समीक्षकों को लुभाने में असफल रही है, उन्होंने कहा, "मैं भी इस बारे में जानने को उत्सुक हूं कि आखिर ये समीक्षाएं कहां से आई हैं, इन्हें किसने लिखा है।"
यह पूछे जाने पर कि क्या आपने फिल्म के प्रदर्शन के वक्त फिल्म की समीक्षाएं पढ़ी हैं, उन्होंने कहा, "नहीं, बिल्कुल नहीं। लेकिन मैं वो समीक्षाएं पढ़ना चाहूंगा। आलोचना के तौर पर कुछ समीक्षकों का कहना है कि मेरी फिल्म की भाषा अच्छी नहीं है, बस इतना ही। जहां तक मुझे मालूम है किसी ने ये नहीं कहा कि यह फिल्म घटिया है।"
आखिर में यह पूछे जाने पर कि लास एंजेलिस में फिल्म को ऑस्कर की दौड़ में बनाए रखने के लिए दर्शकों को और निर्णायकों को अपने पक्ष में तैयार करना एक महंगी और लंबी प्रक्रिया है, क्या इसके लिए आप तैयार हैं, उन्होंने कहा, "मैंने फिल्म के निर्माताओं (एनएफडीसी) से बात की है। हमने अपनी रणनीति बना ली है, हमारे पास अपनी योजना है। लास एंजेलिस में अपने समर्थक और सूत्र बनाना आसान काम नहीं है।"