शुक्रवार को मंसूर की पहली किताब 'द थर्ड कर्व' के लॉन्च के मौके पर मेजबानी करते हुए आमिर ने कहा, "मैं मंसूर के साथ बड़ा हुआ हूँ। मेरे ख्याल से वह भारत के सब से अच्छे फिल्म निर्माताओं में से एक है। मैंने अपना करियर उनकी फिल्म 'क़यामत से क़यामत तक'से ही शुरू किया था। मुझे नहीं पता कि उन्होंने और फ़िल्में न बनाने का फैसला क्यूँ लिया। मेरे हिसाब से यह फिल्म इंडस्ट्री का एक बड़ा नुकसान है।"
मंसूर की फिल्म 'जो जीता वही ही सिकंदर' और 'अकेले हम अकेले तुम' में काम करने वाले आमिर कहते हैं, "मैं अभी भी ये उम्मीद करता हूँ कि वह फिर से फ़िल्में बनाएंगे।
मंसूर की अंतिम फिल्म 2008 में आई फिल्म 'जोश' थी जिसमें ऐश और शाहरुख़ ने काम किया था। इसके बाद उन्होंने आमिर के साथ मिलकर इमरान खान के अभिनय वाली फिल्म 'जाने तु या जाने ना' का निर्माण किया।
मंसूर खान स्वर्गीय फिल्म निर्माता नासिर हुसैन के बेटे है, जो मुंबई के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कॉर्नेल विश्वविद्यालय और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के पूर्व छात्र भी रह चुके है।
उनकी प्रतिभा की सराहना करते हुए आमिर ने कहा, "उन्होंने कंप्यूटर विज्ञान का अध्ययन किया है। वह कार्नेल विश्वविद्यालय और एमआईटी से पढ़ाई कर चुके है और तकनीकी पृष्ठभूमि से होते हुए भी उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में भी बहुत अच्छा काम किया है। मैं उन्हें फिर से फिल्म में लाने की कोशिश करूँगा। लेकिन पिछले लगभग 10-12 सालों से वह किसी चीज़ में गहराई से तल्लीन हो गये थे जिस से उन्होंने मेरे साथ कुछ भी नहीं बांटा।
दरअसल मंसूर अब तक अपनी किताब के शोध में व्यस्त थे। उनकी यह किताब आर्थिक वृद्धि की मजबूरियों और सीमाओं में बंधे लोगों के विस्तृत विश्लेषणात्मक द्रष्टिकोण पर आधारित है।