फिल्मकार अनुभव सिन्हा ने लिखा, "ईश्वर आपकी आत्मा को शांति दें रेशमा, आप हमारे लिए तोहफा थीं।"
लेखक और पत्रकार सादिया दहलवी ने ट्वीट किया, "अभी रेशमाजी के निधन के बारे में सुना। पिछले कई दशकों में उनसे हुई मुलाकात और कई बार सुने उनके गीत याद करती हूं। उनकी आत्मा को शांति मिले।"
समाचार पत्र डॉन के मुताबिक गायिका लंबे अर्से से गले के कैंसर से जूझ रही थीं और रविवार तड़के लाहौर में अंतिम सांस ली।
रेशमा पाकिस्तान की लोक गायिकाओं में सबसे अधिक विख्यात थीं। वह वर्ष 1960 में टेलीविजन पर अवतरित हुईं और पाकिस्तान के साथ साथ भारतीय फिल्मोद्योग के लिए भी गीत रिकॉर्ड किए।
उनके विख्यात गीतों में 'दमा दम मस्त कलंदर', 'हाय ओ रब्बा नहीं लगदा दिल मेरा', 'सुन चरखे दी मिट्ठी-मिट्ठी कूक माहिया मैंनू याद औंदा', 'वे मैं चोरी चोरी', 'अंखियां नू रहने दे अंखियां दे कोल कोल' और 'लंबी जुदाई' शामिल हैं।