गायक-संगीतकार रूप कुमार राठौड़ मानते हैं कि श्रोता और दर्शक कभी आइटम गानों को नहीं पूछते। उनका कहना है मधुर गीत ज्यादा प्रभाव छोड़ते हैं। शुक्रवार को फिल्म 'सूफी सलाम' के लिए सूफी गाने की रिकॉर्डिग के दौरान राठौड़ ने कहा, "मेरे गीत 'मौला मेरे मौला' को यूट्यूब पर 1 करोड़ 20 लाख लोगों ने देखा। यह 'मुन्नी बदनाम' और 'शीला की जवानी' से बहुत आगे है। ये गीत ऐसा नहीं कर सकते।"
उन्होंने कहा, "जनता अच्छी चीजें चाहती है, वह 'चोली के पीछे' की मांग नहीं करती। यह श्रोताओं को दिया गया इसलिए उन्होंने सुना। उसी समय में 'एक लड़की को देखा..' गाना भी आया था और वह ज्यादा लोकप्रिय हुआ था। इसलिए अच्छी चीजें हमेशा प्रभाव छोड़ती हैं।"
राठौड़ ने कहा, "आइटम गीत टीआरपी चमकाने और प्रचार के लिए तो ठीक हैं, लेकिन आपको कितने आइटम गीत याद हैं सिर्फ 'शीला की जवानी' और 'मुन्नी बदनाम'? यह हमारी संस्कृति नहीं है। सूफी और शास्त्रीय संगीत हमारी संस्कृति हैं। हमें इसे बचाना चाहिए।"
रूप कुमार राठौड़ 'संदेशे आते हैं', 'मौला मेरे मौला', 'तुझमें रब दिखता है' सरीखे गीतों के लिए विख्यात हैं।
Monday, November 04, 2013 18:50 IST