सार्वभौमिक नायक हासन की ऐसी ही फिल्मों की सूची आईएएनएस ने तैयार की है, जिनमें उनका अभिनय बेजोड़ रहा लेकिन फिल्में चल नहीं पाईं।
अवल अप्पादिथन : तमिल सिनेमा की एक बेहतरीन फिल्म, जो बॉक्स ऑफिस पर भले ही सफल नहीं रही, लेकिन अपने समय की प्रगतिशील और अग्रणी फिल्मों में थी। हासन ने इसमें एक वृत्तचित्र फिल्माकर का किरदार निभाया था।
अनबे सिवम : साम्यवाद और पूंजीवाद की बहस के बीच जिंदगी के असली महत्व पर प्रकाश डालती यह फिल्म शायद इसलिए नहीं चल पाई क्योंकि दर्शकों ने इसे नास्तिकता का समर्थन करने वाली फिल्म समझ लिया। हासन ने इसमें एक साम्यवादी नास्तिक व्यक्ति की भूमिका निभाई थी।
राजा परवई : कोई अभिनेता एक अंधे किरदार को निभाने का जोखिम शायद ही लेना चाहेगा, लेकिन हासन ने इस रोमांटिक फिल्म में एक अंधे वायलिन वादक का किरदार जीवंत कर खुद को फिल्म जगत का अपवाद साबित कर दिया।
वीरुमांडी : गांव के एक हंसमुख और भोले-भाले युवक के किरदार में हासन ने इस फिल्म में कमाल की अदाकारी दिखाई।
हे राम : लेखक, निर्देशक और अभिनेता के रूप में हासन की यह फिल्म काफी विवादित और बॉक्स ऑफिस पर असफल रही। लेकिन हिंसा के जरिए अधिकार हासिल करने की धारणा का बहिष्कार करने वाले साकेत राम के रूप में हासन की बेजोड़ अदाकारी दर्शकों ने नहीं देखी।
गुना : यह एक प्रेम कहानी थी, जिसमें हासन ने एक शाइजोफ्रेनिया के मरीज की भूमिका निभाई थी।
वरुमयिन नीरम सीवाप्पु : यह फिल्म तमिल सिनेमा के इतिहास में अपनी तरह की अनोखी फिल्म थी, जिसमें अस्सी के दशक में भारत में बेरोजगारी की समस्या को दिखाया गया था। हासन ने इस फिल्म में बेरोजगारी की मार से पीड़ित युवक की भूमिका निभाई थी।
महानदी : हासन के करियर की त्रासद फिल्मों में से एक फिल्म यह थी। अपने लापता बच्चों को ढूंढने के लिए शहर में भटकते एक परेशान पिता की संवेदनशील भूमिका हासन की बेहतरीन भूमिकाओं में से एक है।
स्वाति मुथायम : एक मंदबुद्धि इंसान की भूमिका में हासन ने फिर एक बार अपने आपको देश के बेहतरीन अभिनेताओं में से एक साबित किया। यह फिल्म ऑटिज्म से पीड़ित एक इंसान के नजरिये से दुनिया की सामाजिक-आर्थिक परंपराओं को समझने की कोशिश थी।