प्रियंका ने फिल्म समीक्षक और पत्रकार अनुपमा चोपड़ा को उनके कार्यक्रम 'द फंट्र रो' में बताया, "मुझे नहीं लगता कि यह बहादुरी का काम था। मुझे दुख से उबरने के लिए खुद को समय देना चाहिए था। मैं उस दुख से दूर भागना चाहती थी और मैंने यही किया।"
उन्होंने आगे कहा, "मैं पापा के निधन के चार दिन बाद ही काम पर लौट आई क्योंकि एक तो मेरे पिता को मेरा घर पर खाली बैठना पसंद नहीं था, दूसरा अगर मैं ऐसा करती तो पागल हो गई होती।"
उन्होंने कहा, "पापा को खोना मेरे लिए सिर्फ पिता को खोना नहीं था, बल्कि अपना एक हिस्सा खो देने जैसा था। मेरे पापा मेरे सबसे अच्छे दोस्त थे, मेरे आदर्श थे, मेरे संरक्षक थे। वह मेरे सब कुछ थे। इसलिए उनके निधन के तुरंत बाद मैं काम पर लौट गई क्योंकि वही मेरे लिए शांत रह पाने का उपाय था।"