अमृता के करीबी एक सूत्र का कहना है, "अमृता सुबह के 6 बजे की फ्लाइट पकड़ने के लिए भाग रही थी। और इसके लिए वह सुबह के चार बजे घर से निकल गई थी। तभी रास्ते में वर्सोवा के पास उन्होंने देखा कि एक ऑटोरिक्शाव चालक एक महिला को बुरी तरह से पीट रहा था, और उसे बालों से पकड़ कर खिंच रहा था। जब उन्हें लगा कि कुछ गलत हो रहा है तो उन्होंने अपनी कार रोकी और बाहर आए गई। उस ऑटो वाले ने अमृता को कहा कि यह महिला चोर है। तभी अचानक से उनके तीन साथी और भी आ गये। इसके बाद अमृता वापिस अपनी कार में बैठ गई।"
इस कहानी में नया मोड़ तब आया जब अमृता ने पुलिस को फोन कर के सूचना देने की सोची। तब उन्हें पता चला कि जल्दी में वह अपना फोन तो घर ही छोड़ आई है।
सूत्र आगे बताता है, "अमृता ने उन्हें पुलिस को बुलाने की धमकी दी कि वह पुलिस को बुला रही है। लेकिन तभी उन्हें लगा कि वह तो अपना फोन घर से निकलने की जल्दी में घर ही भूल आई है। इसके बाद वह पास के ही पुलिस स्टेशन गई लेकिन वहाँ कोई भी शिकायत दर्ज करने के लिए ही नहीं था। लेकिन वह ज्यादा देर तक इंतजार भी नहीं कर सकती थी। इसके बाद वह एयरपोर्ट के लिए निकल गई।
अमृता इस बात की पुष्टि करते हुए कहती है कि मैं इस घटना के बाद से अच्छी तरह से सोई नहीं हूँ। मुझे ये सोच कर भी कंपकपी आ जाती है कि चार लोग मेरे और मेरे ड्राईवर के ऊपर हमला करने आ गये, और वहाँ इतना अँधेरा था कि न तो कोई देखने वाला था और ना ही सुनने वाला। इस बात से मुझे ये महसूस हुआ कि यह शहर महिलाओं के लिए कितना असुरक्षित है। साथ ही यहाँ महिलाओं के साथ कितना अन्याय हो रहा है।
वह आगे कहती है कि आदर्श रूप में, मुझे पुलिस को बुलाना चाहिए था और इस जगह और उनके ऑटो के नंबर के बारे में सूचना देनी चाहिए थी। लेकिन उस वक़्त ऐसा करना बहुत ही खतरनाक हो सकता था। और उस समय कुछ ना कुछ बुरा ही गो गया होता। साथ ही इसकी वास्तविकता ये थी कि मैंने एक महिला पर हो रहे अत्याचार से उसे बचाने की कोशिश की, सिर्फ यही एक बात है, जिस से मुझे संतुष्टि मिल रही है।