निर्देशक: प्रभु देवा
स्टार: *1/2
फ़िल्म 'आर... राजकुमार' एक्शन, रोमांस और कॉमेडी समेत पूरी मसाला फ़िल्म है। फ़िल्म की कहानी के हिसाब से देखा जाए तो, यह 70-80 के दशक की कहानी लगती है , जिसमें प्रभुदेवा ने अपने अंदाज में दोबारा से तड़का लगा दिया है।फ़िल्म कहीं-कहीं अच्छा मनोरंजन भी करती है, और बाँध कर भी रखती है, लेकिन कुछ दृश्य खींचे गये से लगते है। इसमें कोई संदेह नहीं है फ़िल्म में शाहिद विलेन के सामने कमज़ोर दिखे है, लेकिन ये भी सच है कि शाहिद ने अपना किरदार निभाने में बहुत मेहनत और ऊर्जा दी है।
फ़िल्म में प्रभु देवा ने अपनी उसी शैली में डांस और एक्शन रखा है। जिसमें शाहिद डांस में बेहद बेहतरीन लगते है, लेकिन एक्शन के मामले में सोनू सूद जैसे विलेन के सामने थोड़े कमजोर पड़ते नजर आते है। जो दर्शकों खासकर शाहिद के फैन को अखर सकता है।
फ़िल्म की कहानी अफ़ीम के गैर क़ानूनी धंधे से शुरू होती है, और प्रेम और अहम की लड़ाई पर पहुंच जाती है। फ़िल्म के केंद्र बिंदु है भैयू उर्फ़ शिवराज (सोनू सूद) , परमार (आशीष विधार्थी), रोमियों राजकुमार (शाहिद कपूर) और परमार की भतीजी और राजकुमार की प्रेमिका चंदा (सोनाक्षी सिन्हा) जिस से भैयू जबरजस्ती शादी करना चाहता है। लेकिन फ़िल्म में एक और शख्श है, काले कारनामों का सरताज अजीत टाका (श्रीहरी) जो भैयू और परमार दोनों की लड़ाई का फायदा उठा कर अफ़ीम हथियाने के चककर में है।
कहानी शुरू होती है तब, जब भैयू अफ़ीम से भरे ट्रक को, बेचने के लिए भेजता है, लेकिन वहीं परमार इसे लूटने की योजना बनाता है। लेकिन इस से पहले कि परमार ट्रक को लूटे रोमियों इस ट्रक को लूट लेता है, जिसे भैयू और परमार दोनों ही नहीं जानते। इस से दोनों सकते में आ जाते है कि आखिर ये ट्रक लूटा किसने। इसके बाद राजकुमार भैयू के पास जाता है, और उसको कहता है कि ये ट्रक मैंने लूटा था अगर मैंने इसे नहीं लूटा होता तो परमार इसे लूट लेता। इसके बाद वह भैयू के खास आदमियों में शामिल हो जाता है। लेकिन अब तक सिर्फ आवारा गिरी और गुंडा गर्दी में उलझे राजकुमार की नज़रे टकराती है, चंदा से जिसे देखते ही वह उस पर लट्टू हो जाता है, और उसे पटाने के लिए तरह-तरह की हरकते करता है। इसके बाद जब भी भैयू उसे किसी खास काम के लिए भेजता है, उसके सामने चंदा आ जाती है और वह अपना काम छोड़ कर उसे देखना शुरू कर देता है। यहाँ तक कि जब भैयू उसे परमार को मारने के लिए भेजता है तो वहाँ उसे पता चलता है कि यह तो चंदा का चाचा है। और वह उसे मारने की योजना छोड़ देता है। लेकिन कहानी में मोड़ तब आता है, जब भैयू भी चंदा के प्रेम में पड़ जाता है और उस से शादी करने के लिए परमार से दोस्ती कर लेता है। इसके बाद जब परमार भैयू और चंदा की शादी की घोषणा करता है तब राजकुमार को पता चलता है, तो वह भैयू और परमार दोनों के ही खिलाफ खड़ा हो जाता है और फिर शुरू होती है जंग। अब मामला अफीम से प्रेम और अहम पर आ जाता है, जिसमें एक तरफ राजकुमार और दूसरी तरफ दोनों विरोधी। शुरू होती है चंदा से शादी की जद्दो जहद। अब आगे फ़िल्म में क्या होता है और इसमें जीत किसकी होती है। ये तो आपको फ़िल्म देखकर ही पता चलेगा।
अभिनय: शाहिद ने फ़िल्म में एक आवारा सड़क छाप लड़के का किरदार निभाया है, जिसमें उन्होंने अपने किरदार को पूरी ऊर्जा दी है। वहीं प्रभुदेवा के डांस स्टेप पर शाहिद ने कमाल का डांस किया है। हालाँकि फ़िल्म में विलेन शाहिद से ज्यादा तंदरुस्त थे लेकिन अपने किरदार को निभाने में उन्होंने भी पूरी ताकत झौंक दी है। वही सोनाक्षी सिन्हा एक अच्छी कलाकार है इसमें कोई शक नहीं है। लेकिन फ़िल्म में उनके हिस्से आए एक दो एक्शन दृश्यों के अलावा वह एक शोपीस होने के अलावा ज्यादा कुछ नहीं था। वहीं सोनू विलेन के रूप में जमते है, जिनकी शक्ल तो विलेन जैसी नहीं लगती लेकिन जब वह विलेन का किरदार निभाते दीखते है तो गुस्सा दिलाते है। यानी उन्होंने एक बार फिर से एक और फ़िल्म में अपने नकारात्मक किरदार की अच्छी उपस्थिति दर्ज कराई है। इनके अलावा आशीष विद्यार्थी, असरानी और मुकुल देव ने भी अपना विलेन का पक्ष अच्छे से रखा है।
संगीत: फ़िल्म का संगीत अच्छा है और काफी पसंद भी किया जा रहा है। खासकर 'गंदी बात' पहले ही यू ट्यूब पर धूम मचा चुका है। इनके अलावा 'साडी के फॉल' और 'मत मारी' गाने भी लोगों की जुबान पर है।
क्यों देखे: फ़िल्म के कुछ दृश्य ऐसे है, जो कहीं-कहीं बाँध कर रखते है, और पूरा मनोरंजन करते। फ़िल्म में शाहिद कपूर के फैंस को उनका ये अंदाज पसंद आएगा।
क्यों न देखे: अगर शाहिद के फैन नहीं है, और फ़िल्म को आलोचकों और समीक्षकों की नज़र से देखते है।