निर्देशन: विजय कृष्ण आचार्य
स्टार: ***1/2
'धूम-3' आमिर-कैट, नए ताजा तरीन और अनदेखे स्टंट, और बेहतरीन गानों का एक बेहद दमदार संयोजन है। जहाँ फ़िल्म के प्रदर्शन से पहले आमिर के किरदार के हिसाब से उनके कद को लेकर मन में सवाल उठ रहे थे। आमिर के दमदार और लाजवाब अभिनय ने इस मानसिकता को गलत साबित कर दिया है। फ़िल्म में, आमिर की एंट्री और उनके हर स्टंट पर हॉल सीटियों और तालियों से गूंज उठता है। इस बार फ़िल्म में एक और चीज है, जो रखी गई है और वो है, कहानी की मांग के अनुसार एक वाजिब उद्देश्य। जहाँ पहली दो फिल्मों में चोरी सिर्फ इसलिए की जाती है कि चोर दुनिया पर अपनी छाप छोड़ना चाहता है। अबकी बार फ़िल्म में चोरी की एक ख़ास वजह रखी गई है, और वह है अपने पिता की मौत और उनके सपने का टूटना।
विजय कृष्ण आचार्य के पास 'धूम-3' की अब तक की दोनों सफलतम फिल्मों की सीरीज का अनुभव है। जहाँ सबसे पहली 'धूम' की उन्होंने कहानी लिखी थी, वहीं दूसरी बार इसके स्क्रीनप्ले की जिम्मेदारी उठाई थी। लेकिन इस बार उन्होंने फ़िल्म का निर्देशन किया है। आचार्य ने अपने और फ़िल्म के निर्माता-लेखक आदित्य चोपड़ा के अब तक 'धूम' के अनुभव को आपस में मिला कर फ़िल्म तैयार की है।
फ़िल्म की कहानी एक ऐसे पिता और उसके बेटे की है, जो अपने सर्कस को दुनिया भर में न सिर्फ पहचान दिलाना चाहते है, बल्कि उसे दुनिया का नंबर वन सर्कस भी बनाना चाहते है। लेकिन जब 'वेस्टर्न बैंक ऑफ़ शिकागो' के मालिक उनके इस सर्कस को ब्याज ना चुकाने की वजह से बंद करने का आदेश देते हैं तो इस घटना से हारा पिता आत्महत्या कर लेता है, और इसके बाद बेटे का मकसद अपने पिता के सपने को पूरा करना और 'वेस्टर्न बैंक ऑफ़ शिकागो' को हमेशा के लिए बंद करा कर उसके मालिक को सड़क पर लाना बन जाता है।
कहानी: फ़िल्म की कहानी शुरू होती है, इकबाल खान (जैकी श्रोफ) और उनके बेटे साहिर (आमिर खान) से जिन्होंने 'वेस्टर्न बैंक ऑफ़ शिकागो' से सर्कस के लिए ब्याज लिया हुआ है। लेकिन वह इसे चुका नहीं पा रहे है, जिससे बैंक के मालिक मि. एंडरसन सर्कस को बंद करवाने का आदेश करता है, इस पर इकबाल उनके सामने एक प्रस्ताव रखता है कि वह एक बार उनका सर्कस देख ले और अगर उन्हें ये पसंद आ जाता है तो वह सर्कस बंद ना करे। लेकिन मि. एंडरसन सर्कस देखने के बाद भी नहीं मानते और इकबाल अपने आप को गोली मार लेता है। इसके बाद शुरुआत होती है, इकबाल के बेटे साहिर के लक्ष्य को पाने की।
अब साहिर धीरे-धीरे बड़ा हो जाता है और एक तेज तर्रार और शातिर चोर भी बन जाता है। जो एक के बाद एक करके 'वेस्टर्न बैंक ऑफ़ शिकागो' में चोरी करता है। और साथ ही शुरू करता है अपने पिता के सर्कस को। फिर शुरू होता हैं उसका लगातार बैंक में चोरियों का सिलसिला। हालाँकि पूरे शिकागो की तेज तर्रार पुलिस साहिर के पीछे है, लेकिन वह उन्हें चकमा देने में हर बार सफल रहता है, और अपने काम को अंजाम देकर, वहाँ हिंदी में लिख देता है, "बैंक वालों तुम्हारी ऐसी की तैसी" हिंदी में लिखा देख कर शिकागो पुलिस भारतीय पुलिस की इस काम में मदद लेना चाहती है। जिसके लिए एसीपी जय दीक्षित (अभिषेक बच्चन) और उनके साथी अली अकबर को भारत से इस काम के लिए बुलाया जाता है, और फिर शुरू हो जाता है, साहिर और जय दीक्षित के बीच एक दूसरे को मात देने का खेल। साथ ही साहिर एक लड़की आलिया (कटरीना कैफ) से प्रेम भी करता है, जो उसी के सर्कस में काम करती है। लेकिन एक और शख्श है जो आलिया से प्रेम करता हैं और वह साहिर का बेहद खास भी है। अब कौन है ये दूसरा शख्स और उसका साहिर से क्या रिश्ता है, इसके लिए तो आपको फ़िल्म देखने ही जाना होगा। साथ ही साहिर अपनी इस जीत को कैसे अंजाम तक पहुंचाता हैं, या वह असफल हो जाता हैं इसके लिए फ़िल्म देखे।
संगीत: 'धूम' फ़िल्म की सभी सीरीज में उसके शीर्षक गाने 'धूम मचाले' ने ऐसी धूम मचाई थी कि उसकी धुन हर बाइक के हॉर्न में सुनने को मिलती थी। लेकिन इस बार निर्माता-निर्देशकों ने फ़िल्म के शीर्ष गाने के साथ-साथ सभी गानों पर मेहनत की है, और फ़िल्म के सभी गाने कमाल के है। ये ना सिर्फ सुनने में अच्छे है, बल्कि फ़िल्म की परिस्थितियों के साथ पूरी तरह से सुर और ताल मिलाते है। ख़ास कर कैट पर फिल्माया गाना 'कमली' बेहद खूबसूरत हैं और काफी पसंद भी किया जा रहा है। इसके अलावा 'तु ही जुनून' 'मलंग' और 'धूम मचाले' गानों को भी बेहद अच्छे से संगीत के साथ कोरियोग्राफ किया गया है।
अभिनय: आमिर खान ने फ़िल्म में गज़ब का किरदार निभाया है, और अपना 100 प्रतिशत दिया है। उन्होंने एक बार फिर अपने किरदार के साथ एक नया प्रयोग किया है, जो उनके अब तक के किरदारों से बेहद अलग और ऊर्जावान भी कहा जा सकता है। फ़िल्म में मिस्टर पर्फेक्टनिस्ट एक जिम्नास्ट का किरदार निभा रहे है। लेकिन अब तक फ़िल्म के किरदार और आमिर के कद को लेकर लोगों के मन में जो सवाल उठ रहे थे, आमिर ने अपनी अभिनय क्षमता के दम पर उन सभी संदेहों और सवालों को सिरे से धराशाई कर दिया है। आमिर खान ने वास्तव में 'धूम' सीरीज की इस फ़िल्म को अपनी उपस्थिति से कामयाब बना दिया है।
इस बात में कोई शक नहीं है, कि कैट बेहद खूबसूरत हैं, और उन्हें उनकी अब तक की फिल्मों में काफी पसंद भी किया गया है। लेकिन 'धूम-3' में कैट के किरदार के बारे में कहा जा सकता है, कि यह फ़िल्म उनके अब तक के फ़िल्मी करियर की सबसे बेहतर फ़िल्म है, और इसमें कैट ने बेहद मेहनत के साथ अभिनय किया है। फ़िल्म में कैट भी एक जिम्नास्ट है, और उन्होंने अपने हिस्से का काम बेहद मेहनत और खूबसूरती से किया है। ख़ास कर फ़िल्म में एक दृश्य आता है, जब आमिर कैट से कहते है कि अगर मेरी एक बार भी नजर तुमसे हटी तो तुम बाहर निकाल दी जाओगी। इसके बाद जब कैट अपना अभिनय शुरू करती है, तो आमिर के साथ सच में दर्शकों की आँखे उनसे नहीं हटती।
अभिषेक बच्चन ने हर बार की तरह इस बार भी अपने जय दीक्षित के किरदार को बना कर रखा है। उनके किरदार में कुछ नया तो नहीं था लेकिन उनकी हर फ़िल्म के साथ अभिषेक के अभिनय में निखार जरुर आया है। वहीं उदय चोपड़ा भी अपने पुराने अली के किरदार में थे और पहले की ही तरह जोशीले अंदाज में दिखे। लेकिन अबकी बार इन दोनों पर आमिर कुछ भारी पड़े है। जैकी श्रॉफ, के हिस्से में बेहद कम किरदार था लेकिन उनकी छवि फ़िल्म के अंत तक बनी रहती है, और वह अंत तक दिमाग में रहते है। उन्होंने एक भावुक पिता का अच्छा किरदार निभाया है।