पाकिस्तानी निर्देशक शोएब मंसूर और निर्देशक मीनू गौर व फरजाद नबी की क्रमश: 'खुदा के लिए' और 'िंजंदा भाग' फिल्म में काम कर चुके नसीर कहते हैं कि राजनीतिक रिश्ते भले ही दोनों देशों में अच्छे न रहे हों, लेकिन सीमा पार के लोग भारतीयों के लिए उत्सुक हैं और उन्हें अचरज से देखते हैं।
नसीर ने कहा, "खुदा के लिए' में काम करने के बाद से मैं पाकिस्तान लगातार जाता रहा हूं, लेकिन मैं भारत में ऐसा कोई नहीं मिला जो कह सके कि मेरा एक पाकिस्तानी मित्र है। मुझे लगता है कि यह बहुत बुरा है। वे वास्तव में हमारे लिए बेहद उत्सुक हैं। वे हमें इज्जत और अचरज से देखते हैं।"
राजनीतिक परिस्थितियों से निराश नसीर कहते हैं, "मैं राजनीतिज्ञ नहीं हूं, मैं इसके लिए इस तरह की चीजें नहीं कर सकता। मैं जब वहां जाता हूं तो यह कर सकता हूं, मैं लाहौर में विश्वविद्यालय के बच्चों की कक्षाएं लेता हूं।"
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि अच्छी फिल्में हमसे नहीं, बल्कि पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका से आएंगी। हम खुद पर ही बहुत खुश हैं। लेकिन ये कुछ देश हैं जहां अगले 50 साल या उससे आगे अच्छी फिल्में बनेंगी।"
नसीर फिलहाल अपनी फिल्म 'डेड़ इश्किया' के प्रदर्शन का इंतजार कर रहे हैं। अभिषेक चौबे निर्देशित यह फिल्म अगले साल जनवरी में प्रदर्शित होगी।