वहीं दूसरी तरफ फ़िल्म के लिए हद से ज्यादा क्रेज रखने वाले दर्शक आईमैक्स में फ़िल्म देखने गये। वहीं फ़िल्म के रात आईमैक्स के शो भी ही भरे हुए थे।
वहीं विल्सन कॉलेज से विज्ञान का एक छात्र ज़ैद खान जो बंक मार कर फ़िल्म देखने आया था का कहना था कि उसे अपनी योजना में बदलाव करना पड़ा था। ज़ैद कहता है, "मैं आईमैक्स में 'धूम-3' देखने के लिए बहुत उत्साहित था, लेकिन साथ ही मैं 700 रूपये में टिकट नहीं लेना चाहता था।
वहीं शहर के एक बैंक में काम करने वाली शिखा वर्मा और दुर्गेश जैन ने बिना किसी हिचकिचाहट के आईमैक्स का टिकट खरीदा । उनका कहना है कि हम तो फ़िल्म के प्रदर्शित होने का इंतजार ही कर रहे थे। साथ ही ये भी सच बात है कि हम हर एक फ़िल्म की इतनी महंगी टिकट नहीं खरीदेंगे।
वहीं सात आठ और भी ऐसे छात्र थे जो नैयर कॉलेज से 11 बजे का शो देखने आए थे। उनमें से एक दिव्यानी जैन का कहना है कि हम की कीमत में सिर्फ एक ही टिकट खरीद सकते है, लेकिन उसी कीमत में हम किसी सामान्य स्क्रीन की दो टिकट खरीद सकते है। हालाँकि आईमैक्स में दोपहर तक का शो थोडा फीका ही रहा और उसमें 444 सीट में से केवल 170 सीटें ही फुल थी। मल्टीप्लेक्स से एक सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि टिकट महंगी होने की वजह से केवल कुछ ही ऐसे छात्र थे जो सुबह आईमैक्स में फ़िल्म देखने आए थे। लेकिन शाम को यह पूरा भर गया था। यही नहीं कल एक सेमिनार में टिकट दर के विवाद पर आमिर खान ने कहा कि 'धूम-3' के टिकट मूल्य भी 'चेन्नई एक्सप्रेस' के जितने ही है। उनमें एक प्रतिशत की भी बढ़ोतरी नहीं की गई है। शो के सुबह के टिकट का मूल्य 400 से 600 और शाम के शो का मूल्य 700 से 900 रखी गई है। वह आगे कहते है, "फर्क सिर्फ इतना ही है कि एक भारतीय फ़िल्म आईमैक्स में रिलीज़ हो रही है, और यहाँ सिर्फ चार-पांच आईमैक्स थियेटर है।"