यहां निर्देशकों की वर्ष 2013 की पसंदीदा फिल्मों की सूची है :
सुजॉय घोष : 'चेन्नई एक्सप्रेस', निखिल अडवाणी की 'डी डे', अभिषेक कपूर की 'काय पो छे', मनीष शर्मा की 'शुद्ध देसी रोमांस' और रितेश बत्रा की 'द लंचबॉक्स'।
आनंद राय : 'काय पो चे' में निर्देशक ने जिस तरह विषयवस्तु को संभाला वह बहुत पसंद आया। राकेश ओमप्रकाश मेहरा की 'भाग मिल्खा भाग' और संजय लीला भंसाली की 'राम-लीला' विशुद्ध रूप से दीपिका पादुकोण की वजह से पसंद आई।
विजय कृष्ण आचार्य : असगर फरहादी की 'ए सेप्रेशन'। वर्ष 2013 में मैंने सिर्फ यही फिल्म देखी क्योंकि 'धूम 3' में व्यस्त था।
अभिषेक चौबे : आनंद गांधी की 'शिप ऑफ थीसियस', रितेश बत्रा की 'द लंचबॉक्स', विक्रमादित्य मोटवाने की 'लुटेरा' पसंद आई।
प्रभुदेवा : 'रमैया वस्तावैया', 'आर..राजकुमार', 'चेन्नई एक्सप्रेस'। पहली दो इसलिए क्योंकि वे मेरी फिल्म हैं और तीसरी इसलिए, क्योंकि वह शाहरुख खान की है।
अजय बहल : अपने शानदार छायांकन और बेहतरीन प्रस्तुतियों के लिए 'शिप ऑफ थीसियस' पसंद आई।
रितेश बत्रा : 'ये जवानी है दीवानी' मजेदार थी। हंसल मेहता की 'शाहिद' इसकी ईमानदारी के कारण भा गई।
सुभाष घई : 'भाग मिल्खा भाग', 'द लंचबॉक्स' और 'लुटेरा'।
तिग्मांशु धूलिया : धनुष की वजह से 'रांझणा' पसंद आई। 'काय पो छे' इसके नए प्रयास की वजह से पसंद आई।
सुभाष कपूर : अपने सरल किंतु जानदार कहानी स्टाइल की वजह से 'काय पो छे' अच्छी लगी। 'भाग मिल्खा भाग' और 'शाहिद' भी पसंद आई।
गौरी शिंदे : राज निदोमोरू एवं कृष्णा डीके की 'गो गोवा गोन', 'ये जवानी है दीवानी' और 'चेन्नई एक्सप्रेस' अच्छी लगी।
मृगदीप लांबा : 'शिप ऑफ थीसियस', 'लुटेरा', 'शाहिद' पसंद आई।
ज्ञान कोरिया : 'शिप ऑफ थीसियस', 'द लंचबॉक्स' और 'द गुड रोड' अच्छी लगी।