निर्देशक : सोहेल खान
स्टार : 3
वही चीजें जिनका हम रोज-मर्रा की जिंदगी में सामना करते है, जो विचार हमारे मन में आते और फिर चले जाते है। फ़िल्म निर्देशक सोहेल खान ने उन्हीं विचारों को पकड़ कर फ़िल्म बनाई है, और यह दर्शकों की भावनाओं को छूने और उनसे जुड़ने में पूरी तरह से कामयाब है। अब क्योंकि फ़िल्म खान ब्रदर्स के अंदाज में बनी है इसलिए फ़िल्म में भरपूर मनोरंजन ना हो ऐसा तो हो नहीं सकता। कहा जा सकता हैं कि सोहेल ने गंभीर मुदों को मनोरंजन के साथ इस तरह से पेश किया है दर्शक तालियां और सीटियां मारने के लिए मजबूर हो जाते है। ऊपर से सलमान खान का अंदाज दर्शकों को बाँधने में कामयाब है।
फ़िल्म मजबूत मुद्दे, राजीतिक षड्यंत्रों, अच्छे अभिनय, प्रेम और वास्तविक से दिखने वाले दृश्यों को बेहद शानदार और मनोरंजक तरीके से पेश करती है। हालाँकि फ़िल्म में ऐसा कुछ नया नहीं है जो आपने पहले ना देखा हो, लेकिन ऐसा मनोरंजन जरुर मिल सकता है जिसे शायद आप पहली बार देख रहे होंगे। फ़िल्म में एक्शन है, रोमासं है, कॉमेडी हैं, ट्रेजिडी हैं और ड्रामा भी है, लेकिन साथ ही एक और चीज हैं, और वह हैं एक वास्तविकता और संदेश, जो थोड़ी देर के लिए ही सही लेकिन देशभक्ति की प्रेरणा जगाने में कामयाब है।
ऐसा लगता हैं कि फ़िल्म के प्रोमोशन के समय निर्देशक सोहेल खान और सलमान खान के बारे में जो दान और लोगों की सहायता की चर्चाएं चली थी, वह जरुर फ़िल्म की कहानी से ही प्रेरित थी। इसके अलावा फ़िल्म में सलमान की टिप्प्णी "बड़े कलाकारों के पास वक़्त नहीं होता इसलिए नवोदित कलाकारों को मौका देता हूँ" का भी पूरा असर दिखा है। उन्होंने फ़िल्म में अश्मित पटेल, डेजी शाद, यश टोंक, पुलकित सम्राट, सना खान जैसे नए कलाकारों को अच्छा मौका दिया है।
कहानी: फ़िल्म एक ऐसे सिरफिरे देशभक्त मेजर जय दीक्षित (सलमान खान) की कहानी है, जो एक आम आदमी होने के नाते भीड़ का हिस्सा होते हुए भी भीड़ से अलग है। जिस गलत होते हुए काम को देख कर लोग मुँह फेर कर निकल जाते हैं वह ना सिर्फ सहायता करता है बल्कि दूसरे लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित भी करता है। जिसकी शुरुआत वह अपनी बहन गीता अग्निहोत्री (तब्बू) और अपने दोस्तों (अश्मित पटेल) और (यश टोंक) के साथ मिलकर करता है। लेकिन जैसे-जैसे वह अन्याय की इम्तिहाँ होते हुए देखता है, वैसे-वैसे अपनी हदों से पार होकर एक घायल शेर की तरह अन्यायियों पर टूट पड़ने के लिए मजबूर हो जाता है। वहीं दूसरी और देश और समाज और अच्छाई के दुश्मन मंत्री दशरथ सिंह (डैनी), भला यह कैसे देख सकते हैं कि उसकी कुर्सी पर कोई आंच आए और जब वह देखता है कि कैसे एक आम आदमी बुराइयों की जड़ों को उखाड़ने के लिए सभी को एक करने की कोशिश कर रहा है, तो वह तिलमिला उठता है क्योंकि यह उसके सिंघासन के लिए खतरा है। इसके बाद जब इस षडयंत्रकारी मंत्री का सामना एक आम लेकिन सिरफिरे देश भक्त से तब होता हैं तब होती हैं जंग शुरू।
इस लड़ाई में मंत्री जी के षड्यंत्र में कदम से कदम मिला कर चलने वालों में, पुलिस की वर्दी में कदम (आदित्य पंचोली), उसका बेटा, (हारुण काजी) और दामाद (मुकुल देव) शामिल है। और वहीं जय दीक्षित का साथ देते है, उसके दोस्त बहन और पुलिस अधिकारी अभय (पुलकित सम्राट) और मुख्य मंत्री जी (मोनिश बहल)। हालाँकि इन सब के बीच जय और (डेज़ी शाह) की छोटी सी प्रेम कहानी भी है लेकिन मुद्दा प्रेम नहीं है। अब इस लड़ाई को जीतने के लिए कौन किस तरह से लड़ता हैं और किसकी जीत होती हैं इसके लिए आपको फ़िल्म देखनी होगी।
अभिनय: फ़िल्म में सलमान समेत अभिनेताओं की भरमार है और जहाँ तक सलमान की बात हैं तो कहा जा सकता हैं कि यह उनके फ़िल्मी करियर की बेहतरीन फिल्मों में से एक होगी। सलमान को अभिनय का लगभग दो दशक का अनुभव हैं और अब वह इस विषय में ऐसे मंझ चुके हैं कि आज उन्हें नवोदित कलाकार अपना गुरु मानते है। फ़िल्म 'जय हो' में उनका अभिनय पहले के मुकाबले और भी ज्यादा बेहतर लगा है। कहा जा सकता हैं कि फ़िल्म में सलमान खान ने अपना शानदार अभिनय दिया है। वहीं सलमान की बहन बनी तब्बू सच में एक सिरफिरे देश भक्त की बहन ही लगती है। कहा जा सकता हैं कि तब्बू को इस किरदार के लिए एक दम सही चुना गया था।
फ़िल्म की अभिनेत्री डेज़ी शाह को देख कर लगता नहीं हैं कि वह नई है। वह सलमान के साथ पहली बार काम कर रही हैं लेकिन फ़िल्म में वह काफी सहज दिखी है।कोई झिझक या घबराहट उनके व्यक्तित्व या अभिनय से नजर नहीं आई है। वहीं अगर विलेन के तौर पर बात करे तो डैनी ने अपनी पहली ही फिल्मों की तरह खूब गुस्सा दिलाया है। और उनके चापलूस पुलिस अधिकारी के रूप में आदित्य पंचोली और दामाद के रूप में मुकुल देव ने भी अपने स्थान को बखूबी भरा है। हमेशा से फिल्मों में विलेन बनने वाले मोहनीश बहल के हिस्से में ज्यादा कुछ नहीं था इसीलिए उनके लिए सिर्फ इतना ही कहा जा सकता हैं कि वह फ़िल्म में एक ईमानदार मुख्य मंत्री के किरदार में उपस्थित थे।
इनके अलावा फ़िल्म में नवोदित कलाकरों में अश्मित पटेल, यश टोंक, सना खान और हारुण काजी ने भी सराहनीय काम किया है। खासकर अगर नन्हें नमन जैन का जिक्र किया जाए तो वह इतनी सी उम्र में कमाल का अभिनेता है। नमन ने फ़िल्म में सभी का खूब मनोरंजन किया है।
संगीत: फ़िल्म का संगीत कुल मिला कर अच्छा है। और शुरुआत होती है 'अपना काम बनता भाड़ में जाए जनता' हैं से जो समाज की सच्चाई को संगीत के जरिये प्रस्तुत करता है। वहीं सलमान खान और डेजी शाह पर फिल्माया गाना 'तेरे नैना बड़े कातिल' सुनने में अच्छा लगता है। इसके अलावा 'बाकी सब फर्स्ट क्लास है' जैसे गाने भी सुनने में मजेदार लगते हैं जिन्हें सलमान के स्टाइल में दर्शाया गया है।