कड़ी सुरक्षा के बीच आमिर ने मांझी के बेटे भगीरथ मांझी और बहू बसंती देवी एवं परिवार के दूसरे लोगों के साथ आधे घंटे तक बातचीत की।
आमिर ने यहां संवाददाताओं से कहा, "मैं यहां आकर, यहां की मिट्टी का स्पर्श करके वाकई खुश हूं, जहां एक अकेले इंसान ने अपनी नि:स्वार्थ प्रतिबद्धता का इतना बड़ा उदाहरण पेश किया।"
अभिनेता एवं फिल्म निर्माता आमिर ने कहा कि दशरथ मांझी का गांव देखने की उनके ख्वाहिश पूरी हुई।
भगीरथ और बसंती ने आमिर से बातचीत करते हुए क्षेत्रीय बोली मघई में कहा कि वे बेहद गरीबी में जीवन बिता रहे हैं और अपनी स्थिति सुधारने के लिए आमिर की मदद चाहते हैं। गहलौर के दशरथनगर दलित टोला में रहने वाले भगीरथ और बसंती दोनों शारीरिक रूप से अपंग हैं और स्थानीय स्कूल में मिड डे मील पकाने का काम कर किसी तरह गुजारा चलाते हैं।
आमिर से मिलने के बाद भगीरथ ने कहा, "हमने हीरो से कहा कि उन्हें हमारी असल कहानी को दुनिया के सामने लाना चाहिए। शायद इससे सरकार का ध्यान हम पर जाए और हमारी कुछ मदद हो सके।"
बसंती ने कहा कि उसने आमिर को अपनी पूरी व्यथा बताई, कि बदतर हालातों में वे गुजर कर रहे हैं। लेकिन उन्हें इस बात का दुख है कि आमिर ने उनका बनाया पारंपरिक खाना नहीं खाया।
उसने कहा, "साहब लोगों ने उन्हें (आमिर) खाना खाने नहीं दिया।"
बताते चलें कि 'माउंटेन मैन' कहे जाने वाले बिहार के दशरथ मांझी ने सिर्फ हथौड़े और छेनी की मदद से दिन-रात एक करके अपने गांव में स्थित पहाड़ को काटकर 360 फीट लंबा, 30 फीट चौड़ा और 30 फीट ऊंचा रास्ता तैयार किया था। 2007 में कैंसर से उनकी मौत हो गई थी।