इस सच के बारे में सोचकर ही एक इंसानी रूह कांप जाएगी कि 1971 के बांग्लादेश नरसंहार के दौरान नौ महीनों तक हर दिन लगभग 2,000 महिलाएं दुष्कर्म का शिकार होती थीं।
देवव्रत की पहली फीचर फिल्म 1971 के बांग्लादेश विभाजन के बारे में है। अभिनेता पवन मल्होत्रा ने फिल्म में एक पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी की भूमिका निभाई है, जिसे दक्का (वर्तमान ढाका) में दुष्कर्म पीड़ित शिविरों की देखरेख का जिम्मा मिलता है और वह बंगालियों के नरसंहार का आदेश देता है।
फिल्म में दुष्कर्म के दृश्य कहानी का अभिन्न हिस्सा हैं। निर्देशक का मानना है कि इस तरह का भयावहता भरा एक दृश्य पूरी फिल्म की कहानी को समझने के लिए पर्याप्त है।
देवव्रत ने एक साक्षात्कार में आईएएनएस को बताया, "फिल्म में दुष्कर्म के दृश्य शामिल किए जाने के पीछे उद्देश्य फिल्म की बिक्री बढ़ाना नहीं है, यह एक सच को सामने लाने का प्रयास है।"
उन्होंने आगे कहा, "कई महिलाएं तक खुद के उस परिस्थति में होने की कल्पना तक नहीं कर सकतीं, पुरुषों की तो बात ही छोड़िए। हम चाहते थे कि कम से कम एक मूक फिल्म दर्शक होकर भी आपको यह सच झकझोर पाए।"
देवव्रत यह आशा जताते हैं कि उनकी फिल्म कम से कम लोगों को महिलाओं के खिलाफ अपराध के प्रति संवेदनशील बना पाए।
दिल्ली के रहने वाले देवव्रत ने कहा, "मैं देख सकता हूं कि फिल्म से प्रेरित होकर लोग अपने आस पास महिलाओं के साथ कुछ गलत होता देखकर आवाज उठाने लगे हैं।"
फिल्म 'चिल्ड्रेन ऑफ वार' छह करोड़ रुपये से भी कम की लागत से बनी है। पवन मल्होत्रा, राइमा सेन, तिल्लोतमा शो, विक्टर बनर्जी, इंद्रनील सेनगुप्ता, रिद्धी सेन जैसे कलाकारों ने फिल्म में काम किया है। दिवंगत अभिनेता फारूख शेख ने भी फिल्म में काम किया था।