निर्माता विभा दत्ता खोसला की यह फ़िल्म 'चारफुटिया छोकरा' अपराध में लिप्त बच्चों पर केंद्रित है। जिनका स्थानीय झुग्गी मालिकों द्वारा शोषण किया जाता है। निर्देशक का कहना है कि शंकर अपने इस किरदार को सुनकर बहुत उत्साहित था। जबकि उसके पिता को मनाना बहुत मुश्किल काम था।
मनीष कहते है, "उन्हें लगा कि हम उसके बेटे को किसी अपराध के सिलसिले में गिरफ्तार करने के लिए कोई जाल बिछा रहे। मेरी सोच के बारे में उन्हें समझाने के लिए बहुत समय लगा।"
हालाँकि शंकर स्कूल नहीं जाता लेकिन अब वह एक स्टार बनने के सपने देख रहा है।
निर्देशक बात को आगे बढ़ाते हुए कहते है, "वह एक तेज और अपने वायदों का पक्का बच्चा है। शूट शुरू करने से पहले, हमें शंकर समेत तीन लड़कों के साथ दो महीने की वर्कशॉप लगानी पड़ी। क्योंकि वे कैमरे के सामने शरमा रहे थे।" अब लगता है कि शंकर ने सारी हिचक छोड़ दी है और मिलने वाले अवसर के साथ आगे बढ़ना चाहता है।
शंकर का कहना है, "मुझे चारों तरफ से गाली दे कर धक्का दे दिया जाता था। अब मैंने गलत चीजों को त्याग दिया है, और अब मैं आगे बढ़ना चाहता हूँ और बड़ा होकर शाहरुख के जैसा बनना चाहता हूँ।"