नंदा को फिल्म 'गुमनाम' और 'जब जब फूल खिले' जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है।
उनकी भाभी जयश्री.टी ने आईएएनएस को बताया, "उन्होंने सुबह लगभग 8.30 बजे अंतिम सांस ली। यह सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि हम डॉक्टर को भी नहीं बुला पाए।"
नंदा का घर उत्तर पश्चिम उपनगर अंधेरी के सात बंग्ला इलाके में है। नंदा के परिवार में दो भाई हैं।
वह प्रसिद्ध मराठी अभिनेता और निर्देशक विनायक डी. कर्नाटकी की बेटी और महान फिल्मकार वी.शांताराम की भतीजी थीं।
जयश्री ने बताया कि उनका अंतिम संस्कार जोगेश्वरी शवदाहगृह में अपराह्न में किया जाएगा।
चार दशकों तक सिनेमा में सक्रिय रहने वाली नंदा ने 65 फिल्में की थीं, उन्होंने अपने पिता के निधन के बाद परिवार की आर्थिक मदद के लिए बाल कलाकार के रूप में करियर शुरू किया था।
वी.शांताराम की फिल्म 'तूफान और दिया' में उन्हें बड़ा मौका मिला था। उन्होंने 'भाभी' और देव आनंद-वहीदा रहमान की फिल्म 'काला बाजार' में सह अभिनेत्री का किरदार किया था, इसके बाद उन्होंने 'गुमनाम' में मनोज कुमार के साथ मुख्य भूमिका निभाई थी, जिसके बाद उन्होंने दोबारा 'मेरा कसूर क्या है' में साथ काम किया था। 1972 में मनोज ने अपनी पहली निर्देशित फिल्म में 'शोर' में उन्हें छोटी लेकिन महत्वपूर्ण भूमिका दी थी।
उन्होंने करियर की शुरुआत में शशि कपूर के साथ काम किया था और यह जोड़ी सफल फिल्म 'जब जब फूल खिले' में नजर आई थी, जो आज भी अपने संगीत और गाने के लिए याद की जाती है। लोकप्रिय गाना 'ये समा' इसी फिल्म में फिल्माया गया था।
नंदा ने देव आनंद के साथ भी 'हम दोनों' और 'तीन देवियां' फिल्म की थीं। उन्होंने राजेश खन्ना के साथ 'इत्तेफाक', 'द ट्रेन', 'जोरू का गुलाम' जैसी फिल्में की थी।
इसके बाद उन्होंने चरित्र किरदार निभाना शुरू कर दिया था और आज भी राज कपूर की फिल्म 'प्रेम रोग' में उनके द्वारा पद्मिनी कोल्हापुरे की मां के निभाया गया किरदार याद किया जाता है।