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नई पीढ़ी तेज-तर्रार और समर्पित है : वहीदा

पचास और साठ के दशकों में सिने पर्दे पर एकछत्र राज करने वाली अभिनेत्री वहीदा रहमान ने वर्तमान फिल्म निर्माण तकनीक और नई पीढ़ी के युवा कलाकारों की प्रशंसा करते हुए कहा कि युवा पीढ़ी तेज-तर्रार और समर्पित है, लेकिन आज की पीढ़ी पर्दे को कम समय देती है, जबकि उनके दौर में ऐसा नहीं था।

वहीदा ने एक साक्षात्कार में आईएएनएस को बताया, "वे तकनीक, विषयवस्तु और प्रस्तुतिकरण के क्षेत्र में काफी प्रगति कर रहे हैं। मैं कह सकती हूं कि नई पीढ़ी ज्यादा तेज-तर्रार, मेहनती और समर्पित है। उन्हें अच्छे से पता है कि उन्हें क्या चाहिए।"

वहीदा ने अपने दौर के कलाकारों और नई पीढ़ी के बीच तुलना करते हुए कहा, "मैं अपने बारे में बात कर सकती हूं। मुझे पता है कि मैं कायमयाब अभिनेत्री रही थी। लोग मुझे पसंद करते थे, प्यार करते थे, मेरा सम्मान करते थे और मैं इन सब के साथ खुश थी।"

उन्होंने कहा, "लेकिन आज की बात ही कुछ और है। आज के कलाकार हमारे दौर की तुलना में पर्दे पर कम समय के लिए ही होते हैं। हर वक्त एक नया कलाकार आपकी जगह लेने के लिए पंक्ति में खड़ा होता है। शायद यह मॉडलिंग और सौंदर्य प्रतिस्पर्धाओं का नतीजा है।"

वहीदा ने 'सोलहवां साल', 'प्यासा', 'साहब बीवी और गुलाम', 'बीस साल बाद' और 'गाइड' जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम किया है।

वहीदा ने कहा, "आज किसी को पता नहीं होता कि कब, कौन, किसकी जगह ले लेगा। हर कलाकार के दिमाग में यह बात चलती रहती है और इसलिए आज वे ज्यादा असुरक्षित महसूस करते हैं और उनके सामने चुनौतियां ज्यादा हैं।"

वहीदा ने हिंदी सिनेमा में महिलाओं की बढ़ती भूमिका और महिला प्रधान फिल्मों की शुरुआत की प्रशंसा करते हुए कहा, "मुझे इस बात की खुशी है कि देर से ही सही पर 'हाइवे' और 'क्वीन' जैसी महिला प्रधान फिल्में भी अब अच्छा व्यवसाय कर रही हैं। अब ढेर सारी महिला प्रधान फिल्में बन रही हैं। मैं बेहद खुश हूं कि अब लड़कियों को अच्छी फिल्में मिल रही हैं।"

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