बच्चन परिवार ने हमेशा ही मतदान के बाद स्याही लगी अपनी उंगली को गर्व से दिखाया है।
71 वर्षीय बच्चन ने यहां एक साक्षात्कार में आईएएनएस को बताया, "मुझे नहीं लगता कि मतदान का प्रचार करने की जरूरत है। यह एक लोकतांत्रिक अधिकार है और हमें इसे करना चाहिए।" अमिताभ वर्ष 1984 में इलाहाबाद से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं, उन्होंने इसे भारी अंतर से जीता भी था।
उन्होंने एक सांसद के रूप में तीन साल बाद इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद से उन्होंने राजनीति से दूरी बनाई हुई है और अराजनैतिक बने हुए हैं।
लेकिन पर्दे पर अपनी आगामी फिल्म 'भूतनाथ रिटर्न्स' में वह एक भ्रष्ट राजनीति में चीजों को सही तरीके से लाने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। यह फिल्म एक राजनीति व्यंग्य है।
फिल्म 11 अप्रैल को प्रदर्शित हो रही है।
इस चुनावी मौसम में राजनीतिक व्यंग्य वाली अपनी फिल्म की रिलीज के बारे में बच्चन ने कहा, "यह मात्र एक संयोग है। फिल्म की कुछ विषय वस्तु मौजूदा समय में बहुत प्रासंगिक है।"
अमिताभ अपने चार दशकों से अधिक लंबे करियर में हिंदी फिल्म प्रेमियों का मनोरंजन करते आ रहे हैं। उनका कहना है कि वह राजनीति से वाकिफ नहीं हैं। लेकिन वह आशा करते हैं कि लोग अपने मताधिकार का सही प्रयोग करें।
सूट-बूट पहने दिग्गज अभिनेता ने अपनी फिल्म 'भूतनाथ रिटर्न्स' की पटकथा और राजनीति को लेकर अपने विचारों पर और बातें कीं।
भारतीय नेताओं में से 'शेर' कौन है इस बाबत टिप्पणी किए जाने के लिए कहे जाने पर उन्होंने कहा, "मैं नेता नहीं हूं। और मैं राजनीति का बहुत अच्छे से पालन नहीं करता।"
'भूतनाथ रिटर्न्स' वर्ष 2008 की फिल्म 'भूतनाथ' का सीक्वेल है, जिसमें अमिताभ 17 साल के युवा की तरह गाते, नाचते और दर्शकों का मनोरंजन करते दिखते हैं।
'भूतनाथ रिटर्न्स' के बाद उनके पास करने के लिए पहले से ही टेलीविजन धारावाहिक, नई फिल्में, रियलिटी शो 'कौन बनेगा करोड़पति' का नया संस्करण और और भी बहुत कुछ है। इन सब में तालमेल कैसे बिठाते करते हैं?
इस सवाल के जवाब में उनकी ओर से एक प्यारा सा जवाब आया, "एक बहुत प्यारी सी चीज है, जिसे 'शूहॉर्न' (जूते पहनने में मदद करने वाली चीज) कहते हैं। आप इसका इस्तेमाल करते हैं और निकल पड़ते हैं।"