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अबु आजमी और मुलायम सिंह पर भड़का बॉलीवुड

आयशा टाकिया आजमी: जो कुछ मैं अपने ससुर के बारे में पढ़ रही हूँ अगर ये टिप्पणी सही है, तो मैं और फरहान इस से पूरी तरह से लज्जित और शर्मिंदा है... हम वास्तव में इस तरह की मानसिकता नहीं रखते...यह महिलाओं के लिए निरदारपूर्ण है। अगर ये टिप्पणी सही है तो ये कहा गया है।

​ फरहान अख्तर: बलात्कारियों पर एमएस यादव की टिप्पणी समझ से परे है। लड़के, लड़के ही रहेंगे, यह दयनीय है! वहीं अबु आज़मी अपनी इच्छा अनुसार संबंध बनाने वाली महिला को भी फांसी पर टांगना चाहते है। मुझे लगता है उन्हें जल्द से जल्द आराम और चिकित्सा की सख्त जरूरत है।

​ अर्जुन रामपाल: हमारे राजनीतिक दिग्गजों द्वारा बलात्कार के दोषियों पर दी गई टिप्पणियां भयावह से भी ज्यादा नीचे है, पहले इन लड़कों को इनकी माताओं और बहनों के साथ वही गलती दोहराने दो।

​ दिव्या दत्ता: किसी के साथ पक्षपात किये बिना हर कोई जरीवाल को थप्पड़ क्यों मार रहा है! ऐसा वह दूसरे नेताओं के साथ करने की हिम्मत क्यों नहीं जुटाते।

​ श्रुति सेठ: क्या समाज वादी पार्टी के नेताओं ने बेवकूफियों भरी टिप्पणी करने के लिए होड़ लगा रखी है। वे एक के बाद एक कर के इस तरह की हरकत कर रहे है, कोई इन्हे थप्पड़ मारेगा प्लीज़।

​ सोफी चौधरी: चकित और व्यथित! बलात्कार के शिकार को दंडित किया जाना चाहिए? बेहूदगी! शायद हम सभी को इस तरह के नेताओं द्वारा रोज बलात्कार करने के लिए ही सजा मिलनी चाहिए।

​ संजय गुप्ता: मुलायम सिंह और अबू आजमी! प्रतिगामी, निरर्थक और मंद सोच। निरपेक्ष शर्म की बात है! क्या वे बलात्कारियों की वोट लेने के लिए ऐसा कर रहे है।

​ निखिल आडवाणी: कम से कम प्रतिरोध और प्रतिक्रिया कर सकते है। मुझे उन लोगों पर दया आती है, जो श्रीमान अबु आज़मी के चारों तरफ है।उनके पास इन्हें बर्दास्त करने के अलावा और कोई चारा नहीं है। अमृता पुरी: भारतीय नेताओं की सोच में प्राकर्तिक तौर पर ही कमी है। अगर अबू आजमी जैसे नेता इस तरह का सार्वजनिक बयान दे सकते है। उनके जैसे लोग सिर्फ ये दिखाना चाहते है, कि महिलाओं को आजादी और सशक्तिकरण के मामले में अभी बहुत तरक्की करनी है। एंडी विजय कुमार: भयानक! अगर महिला के साथ बलात्कार होता है तो उसे सजा मिलनी चाहिए। अपनी मर्जी से संबंध बनाने वाली महिला को फांसी पर चढ़ा देना चाहिए। अबू आजमी, क्या वह समझदार है? क्या इस आदमी को सत्ता में रहना चाहिए।

​ विनय पाठक: हमारे तथाकथित अत्याचार से संरक्षक और प्रतिनिधियों द्वारा इस तरह के बयान सुनकर! कोई क्या कह सकता है। क्या कोई इन्हे परिभाषित कर सकता है। क्या वे इसे ख़ारिज करते है? क्या वह एक स्मरण-पत्र नही की आज हम क्या है? और सबसे भयावह भाग ये है की ये फिर से चुने जा सकते है। वीर दास: अबु आजमी.....क्या घोड़ों की शिट का एक भाप वाला ढेर है... मुझे माफ़ करना...मुझे पता है कि ये मजाक नहीं है...मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि उन्हें इस तरह की पंचलाइन जरूरत पड़ेगी।

​ अंजना सुखानी: मुलायम और फिर अबु आज़मी। इन बड़े-बूढ़ों के साथ क्या समस्या है। वे मीडिया का ध्यान बटोरने के लिए इस तरह की नीचा दिखाने वाली टिप्पणियां दे रहे है। इन्हें वापिस लो और माफ़ी मानगो। क्या आपको लगता है कि हम मूर्ख है।

​ जोस कोवाको: जब कभी कोई नेता इस तरह की हास्यास्पद मूर्खता पूर्ण टिप्पणी करता है, तो आप इस बात पर यकीन कर सकते है कि हम कहीं ना कहीं बड़े घोटालों से परेशान हो चुके है।

​ कमाल आर खान: मुलायम ने कहा की लड़कों को बलात्कार के बाद फांसी नहीं होनी चाहिए, और अबु ने कहा की अगर महिला संबंध बनाती है तो उसे फांसी पर लटका देना चाहिए। ये मानसिक तौर पर बीमार लोग है। महिलाओं को इन पर आक्रमण कर देना चाहिए। सपा के नेताओं के घर पर देश भर से पत्थर पड़ने चाहिए ताकि वे महिलाओं का सम्मान करना सीखे।

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