फिल्म समीक्षा: ​पूरी तरह से पैसा वसूल है ​मैं 'तेरा हीरो'

Thursday, April 17, 2014 16:15 IST
By Santa Banta News Network
कास्ट: वरुण धवन, इलियाना डी 'क्रूज़, नरगिस ​फाखरी, अनुपम खेर, अरुनोदया सिंह, राजपाल यादव, सौरभ शुक्ला

दिशा: डेविड धवन​

स्टार: 3/5

​फ़िल्मी युग में लगातार बदलाव आता रहा है, और हर युग में बॉलीवुड अपने नए अंदाज में दिखा है। लेकिन "मसाला मनोरंजन" एक ऐसी शैली है जो हर युग में अपना जादू बरकार रखने में कामयाब रहा है। फिर चाहे वह 90​ का दशक हो या फिर 60 का। ये फ़िल्में दर्शकों के मनोरजंन में ज्यादातर कामयाब रहती है। ऐसे में इस तरह की मसाला फिल्मों के लिए सबसे ज्यादा जाने-जाने वाले निर्माता-निर्देशकों में डेविड धवन का नाम भी शीर्ष पर आता है। और उन्होंने इस बार भी ऐसा ही कुछ फिल्म 'मैं तेरा हीरो' के माध्यम से किया है।

​अब तक गोविंदा, सलमान और अक्षय जैसे दर्शकों के सबसे चहेते अभिनेताओं के साथ अपनी फिल्मों से दर्शकों के बीच में धमाल मचाने वाले डेविड धवन इस बार इस फिल्म से अपने बेटे वरुण धवन को लेकर आए है। ​​वैसे तो वरुण, नर्गिस और इलियाना की यह त्रिकोणीय प्रेम कहानी ​​दक्षिण की सुपरहिट फिल्म '​ कंदिरईगा​'​ ​का हिंदी रीमेक है लेकिन साथ ही यह भी कहना होगा कि फिल्म में डेविड धवन ने अपने अंदाज में तड़का लगाया है।

​ ​यह कहानी है पढाई में जीरो और मार-धाड़ के हीरो श्रीनाथ प्रसाद उर्फ सीनू (वरुण धवन) ​ की। जो अपनी करतूतों और कारस्तानियों के चलते कॉलेज, आस पड़ोस और घरवालों के नाक में दम है। ऐसे में जब वह दूसरे शहर यानी बैंगलोर जाने का फैंसला करता है तो उसके पिता (मनोज पाहवा) बेहद ख़ुशी के साथ उसे हाँ कह देते है लेकिन इस बात से सिर्फ उसके माता-पिता ही नहीं बल्कि वे सभी लोग बेहद खुश है। अब सीनू के सामने एक चुनौती है अपने आप को साबित करने की।

लेकिन जैसे ही सीनू बैंगलोर अपने नए कॉलेज में कदम रखता है उसकी पढाई से रूठी किस्मत उसे सुनैना (इलियाना डिक्रूज) से मिला देती है।यानी एक बार फिर सीनू पढाई के बजाय किसी और ही चक्कर में पड़ जाता है, लेकिन जब उसकी मुलाकात सुनयना के मंगेतर अंगद नेगी (अरुणोदय सिंह) से होती है तो दोनों के बीच हो जाता है टकराव, सुनयना से शादी को लेकर। ​

​ ​लेकिन जैसे ही अगंद के डर से बाहर निकल कर सुनयना सीनू के प्रेम में पड़ती है वैसे ही उसे अगुवा कर लिया जाता है। जिसे अगुवा करता है बैंकॉक का एक बड़ा माफिया विक्रांत सिंघल (अनुपम खेर) जो अपनी बेटी आयशा (नरगिस फाकरी) से उसकी शादी कराने के लिए सुनयना को अगुवा करवाता है। क्योंकि ऐसा आयशा चाहती है। ​बस यहीं से शुरू होती है फिल्म की कहानी की पाने और खोने की जद्दो जहद। इसमें कौन जीता और और कौन हारता है इसी ताने-बाने में फिल्म को बुना गया है। ​

​ ​ ​कहा जा सकता है कि यह फिल्म पूरी तरह से एक मसाला फिल्म है और इसे देखने जाने वालों को अपनड़ा दिमाग घर पर छोड़ के जाना पड़ेगा। फिल्म को बिना दिमाग लगाए देख कर मनोरंजन किया जा सकता है।

​अगर फिल्म के संगीत की बात की जाए तो फिल्म में गाने भी पूरे मसाला अंदाज में ही शूट किये गए है जो जाहिर तौर पर गोविंदा की याद दिलाते है। फिल्म के गाने 'पलट' और 'शनिवार राति' साजिद-वाजिद के खुश मिजाज अंदाज का नतीजा है।

वहीँ अगर अभिनय की बात की जाए तो, फिल्म के सभी न्यूबी ने अपने-अपने किरदार में महत्वपूर्ण अभिनय दिया है। वैसे फिल्म वरुण के चारो तरफ घूमती है। और फिल्म में उन्हें देखकर संभावनाए जताई जा रही है कि ये 'स्टूडेंट्स ऑफ़ द ईयर' आने वाले समय में एक बड़े सितारे के तौर पर उभर कर सामने आने वाले है।

वहीं 'बर्फी' के बाद इलियाना ने एक बार फिर से अपनी अभिनय क्षमता का परिच दिया है। वहीं दूसरी और नर्गिस बिना किसी संदेह के बेहद खूबसूरत तो लगी है लेकिन उनके लिए फिल्म में कुछ खास नहीं था। ​अनुपम खेर एक बार फिर से अपने उसी मजाकिया किरदार में पर्दे पर उतरे है। फिल्म में शक्ति कपूर ने भी अपनी निशक्त उपस्थिति दर्ज कराइ है। ​
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