एक क्रू मेंबर का कहना है, "इस बारे में ज्यादा लोगों को जानकारी नहीं थी कि हमने फिल्म का महत्वपूर्ण भाग चंबल में शूट किया है। हमने योजना बनाई थी कि इसके बारे में लोगों को पता नहीं चलना चाहिए। क्योंकि हम बिना वजह का ध्यान बटाना नहीं चाहते थे। खासकर क्योंकि यह एक डकैत प्रभावित क्षेत्र है।
लेकिन हुआ इसका उलटा हम लोग पहले दिन डाकुओं से घिर गए। हमारी आठ कारों को ऊपर खिंच लिया गया। उन्होंने अपने चेहरे ढकें हुए थे, और बंदूकें ली हुई थी। ये हमसे एक के बाद एक करके प्रश्न पूछते रहे। वे जानना चाहते थे कि हम वहां क्यों आए है और क्या करना चाहते है।
संयोग से, फिल्म की कास्ट पुलिस के साथ थी। लेकिन इस चीज से यूनिट को मुश्किल से सहायता मिली। वहीं निर्देशक साई कबीर का कहना है, "हां हमें चंबल में शूट करते समय कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ा। हमें टोल पलाज़ा पर भी रोक लिया गया था और वहां हमें उनकी उत्सुकता को भी समायोजित करना था।
कुछ गंभीर प्रश्नों के बाद ही हमें जाने दिया गया। हमारी सुरक्षा भी इसमें ज्यादा कुछ नहीं कर पाई क्योंकि उनके पास मशीनगन थी। यहांतक कि ये अहसास होने पर कि हम कंगना के साथ शूट कर रहे है उन्होंने उनके साथ फोटो खिचाने की भी पेशकश की। और हमें उनकी बात को मानना पड़ा क्योंकि हमें आगे भी बढ़ना था।