प्रियंका ने कहा, "भाग्यवश मैं ऐसे परिवार से आती हूं जहां लड़का-लड़की में भेद नहीं किया जाता। लेकिन बदलाव लाने के लिए लोगों की मानसिकता को बदला जरूरी है। बच्चियां भार नहीं होतीं, और मैं कहना चाहूंगा कि अगर आप एक लड़की को शिक्षित करते हैं तो एक परिवार को शिक्षित करते हैं।"
इस सत्र की समाप्ति से पहले इस विषय पर आधारित एक लघु फिल्म प्रदर्शित की गई।
अभिनेत्री शबाना आजमी ने भी इस सत्र में हिस्सा लिया और महिला के खिलाफ होने वाली हिंसा के मुद्दे पर चर्चा की।
उन्होंने कहा, "मैं विवादित मुद्दे महिलाओं के खिलाफ हिंसा को उठाना चाहूंगी। अगर एक लड़की की शादी होती है और अगर वह खुश नहीं है, उसे उसके मन को मना कर रिश्ते को सुधारने के लिए उसके परिवार के पास दोबारा चले जाने की सलाह दी जाती है। मैं कहना चाहती हूं कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा को बर्दास्त नहीं किया जाना चाहिए।"