सीने-स्टार भाई-बहनों की छ्त्रछायां में पनपे ये सितारें

Monday, May 12, 2014 15:48 IST
By Santa Banta News Network
​फिल्म इंडस्ट्री ऐसे उदाहरणों से भरी पड़ी है जिसमें एक ही परिवार के भाइयों और बहनों को उनके परिवार के किसी सदस्य खास कर भाई या बहन के इंड्स्ट्री में होने के चलते जहां फायदा मिला है वहीं कुछ को नुक्सान भी उठाना पड़ा है। इनके सबसे अग्रणी उदाहरण है प्रियंका और उनकी बहनों के और अनुराग कश्यप और उनके छोटे भाई अभिनव कश्यप के।​

चलिए देखते है कि अपने बडों के इंडस्ट्री में होने से किसको फायदा हुआ और किसको नुकसान।​

अब से पहले चार वर्षों तक तमिल और तेलगु फिल्मों में काम करने के बाद पहली बार बॉलीवुड में कदम रखने वाली अभिनेत्री ​मीरा चोपड़ा ​कहती हैं, "हम एक पारंपरिक मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखते है, जहाँ अभिनय को एक गंभीर के तौर पर नही लिया जाता। किसी ने भी ये नही सोचा होगा कि चार बहने अभीनेत्री बनेंगी।"​​

मीरा ये स्वीकार करती है कि प्रियंका की वज़ह से उन्हें बहुत फायदा मिला, "इंडस्ट्री ने प्रियंका की लोकप्रियता के चलते एक काफी खुले दिल के साथ मेरा स्वागत किया। मुझे किसी भी निर्देशक से मिलने के लिये इंतज़ार नही करना पडा। यहाँ तक कि जब निर्देशकों को ये पता चला कि मैं एक ए लिस्टर अभिनेत्री की बहन हुँ तो उन्होंने मेरे साथ ज्यादा अच्छे से व्यवहार किया। इसने मेरे संघर्ष को काफी कम कर दिया। लेकिन साथ ही कई बार ऐसा भी हुआ हैं कि मुझे एक रोल इस लिये नही मिला क्योँकि निर्देशक को ईमानदारी से ये लगा कि यह क़िरदार मेरे लिए ठीक नही है।"

वहीं प्रियंका की एक और बहन परिणीति चोपड़ा भी प्रियंका के द्वारा की गई सहायता को याद रखती है, "मैं यहाँ एक इन्वेस्टमेंट बैंकर बनने के लिये आई थी, और प्रियंका दीदी ने इसमें मेरी मदद की। यही वजह है कि मुझे यशराज फिल्म्स में एक पत्रकार बनने का मौका भी मिल गया। यही कारण था कि मैंने दिल्ली के बजाय मुंबई में काम करने की सोची। पहले मैं उनके साथ ही रहा करती थी। लेकिन हर एक पंजाबन की तरह ही मुझे भी मेरी आजादी पसंद है। जिस दिन मुझे काम मिल गया मैँ अलग हो गई। लेकिन अभिनेत्री बनने का पूरा का पूरा फैंसला मुझे मिली कॉल पर निर्भर था।

ऐसे ही एक अभिनेता है साक़िब सलीम, जिन्हें अपनी बहन से प्रेरणा मिली थी। "मैं हुमा को थियेटर से उनकी रिहर्सल के बाद लेने जाया कर्ता था और मैं सोचता था कि वो पूरी प्रशिक्षित अभिनेत्री है और मैँ पूरा फ़िल्मी किस्म का हूँ।"

इसके बाद जल्द ही अभिनय में अपना करियर बनाने के लिये हुमा दिल्ली से मुंबई चली गई। साक़िब ने भी यही किया। "हम इस बात का बहुत मज़ाक भी बनाते है कि वह मुझसे सीनियर है लेकिन यह बहुत अच्छी बात है कि आपकी बहन भी उसी प्रोफेशन में है। हम एक दूसरे को सुझाव और गाइड करते है।हमने एक्टिंग करियर को बेहद जल्दी चुन लिया था जिसके लिये हमें एक दूसरे को ये बताने की जरुरत पड़ती है कि क्या करें और क्या ना करें।"

यही बात लागू होती है शमस नवंब सिद्दीक़ी पर, जो नवाजुद्दीन सिद्दीक़ी के छोटे भाई है। नवजुद्दीनद सिद्दीक़ी ने काम पाने के लिये फ़िल्म इंडस्ट्री के पांच साल तक लगातार चक्कर लगाए है। जिसमें उन्हें ना के बराबर किरदार ही मिले। इसके बाद उन्हें जब 'ब्लैक फ्राइडे मिली जिसे उनके करियर की शुरआत कहा जा सकता है। उन्होंने ही दिल्ली में​ ​वैमानिक अभियांत्रिकी​ ​कर रहे शमस को मुंबई आने के लिये कहा था। जो कि उनसे 10 साल जूनियर है।

शमस अपने भाई के संघर्ष के दिनों को याद करते हुए कहते है, "उस मुश्किल समय में, वह अपने आसपास किसी पारिवारिक सदस्य को चाहते थे। लेकिन मुझे बुलाने के पीछे जो विचार था वह यह कि उन्हें पता था कि मेरा दिमाग बहुत रचनात्मक है। उन्होंने पहले मेरी कुछ स्क्रिप्ट भी देखी थी। इसलिए मैंने मेरी प्रैक्टिकल की क्लासों को छोड़ दिया और मुंबई आ गया।जब भी वह कोई फिल्म साइन करते तो उसमें मेरे लिये कोई ना कोई शब्द जरुर रखतें, और बोर्ड पर मेरा नाम सह-निर्देशक के तौर पर आता। लेकिन उस वक़्त जब नवाज भाई एक संघर्ष कर्ता थे तो किसी ने मुझे गंभीरता से नही लिया।"

फिर उन्होंने धीरे-धीरेव्यापार की तकनीकों को सीखा और कठिन परिश्रम किया, और आपने भाई की सहायता के बिना ही आगे बढ़ गए। "इसके बाद मैं छोटे पर्दे पर चला गया। जब तक नवाज भाई का नाम नही हो गया और मेरे लिये भी वातावरण नही बदल गया। आज हर कोई मुझसे शानदार तरीके से पेश आता है, और मुझे गंभीरता से लेता है।"

वह कहते है कि उनहोंने अपने भाई के स्टारडम का कोई फायदा नही उठाया, "जब मैंने टीवी छोड़ा तो उन्होंने मुझे एक फ़िल्म के लिये कहानी लिखने के लिये प्रस्ताव दिया। लेकिन मैंनेउस पर ध्यान नहीदिया।"

जब मैंने छोड़ दिया तो उन्हें शक हुआ कि मैन इस चुनौती को स्वीकार कर पूरा भी कर सकता था या नही। इसके बाद मैंने अपने विचारों को पिरोया और 18 दिनों में एक स्क्रिप्ट तैयार की। इसके बाद जब उन्होंने यह स्टोरी पढ़ी तो मेरे लिये यह एक बदलाव का कारण बना। इसके दो महीने के बाद उन्होंने इस पर काम किया और इसे पसंद भी किया। इसी से चलता है कि वह कितने प्रोफेशनल है। अगर वह किसी की योग्यता में यकीन नही करते तो वह उसे कभी भी प्रोमोट नही करेंगे।

इसी सूची में अनुष्का शर्मा का भी नाम शामिल है। उन्होंने हाल ही में अपने भाई करनेश का नाम सबके सामने लिया है जो मर्चेंट नेवी मे अधिकारी है। वह उनकी फिल्म 'एनएच 10' का भी हिस्सा है। जबकि उनकी फिल्मों में एंट्री में एंट्री को लेकर अफवाहें दो साल पहले से ही आनी शुरु हो गई थी जब वह लगातार अपनी बहनोँ के साथ कई इवेंट्स में देखे गए थे। लेकिन अभिनेत्री ने इन अटकलों को नकार दिया था।

लेकिन सिर्फ ऐसा ही नही है कि बॉलीवुड में अपने भाई-बहनों के होने के चलते सिर्फ़ लोगों को फायदा ही मिला है बल्कि कुछ ऐसे भी उदाहरण है जिनमेँ नुकसान भी उठाना पड़ा है।

बॉलीवुड में हाल ही में प्रवेश करने वाले पूर्व कंपनी कार्यकारीका कहना है, "जब अभिनव ने बॉलीवुड में क़दम रखा और लोगों को अपनी स्क्रिप्ट के लिये प्रस्ताव दिया कोई भी उनकी बात सुनने के लिये तैयार नही था। वह जानते थे कि वह अनुराग के संबंधी है। जिन्होंने सिर्फ डार्क फिल्मों के माध्यम से लोकप्रियता कमाई है। इसलिए लोगों ने अभिनव के बारे में यह नही सोचा कि उनके पास कोई नया विचार होगा। उन्हें सिर्फ भविष्यवाणी के आधार पर नकार दिया गया। अनुराग जैसे भाई के फ़िल्म इंडस्ट्री में होने के बावजूद उन्हें कोई सहायता नही मिली। इसके बजाय उनकी जिंदगी और मुश्किल हो गई।

अनुभूति अपने भाइयों का ज़िक्र करते हुए कहती है, "मैं नही चाहती कि लोग मेरे भाईयोँ के बारे में कहें कि वह मुझे पीछे खींचने का कारण बन रहे है। हालाँकि उन्होंने जो मेरी शॉर्ट फ़िल्म देखी है उन्होंने मेरी तारीफ ही की है। साथ ही वह अब ये जानने के लिये भी बैचेन है कि अब मेरे पास अगला काम क्या है। हमारे ऊपर बहुत दबाव होता है क्योंकि मैं कश्यप परिवार की बहन हूँ। अच्छी बात ये है कि लोग मेरे बारे में बहुत खुले विचारों के है कि मेरे भाइयों ने ऐसी फिल्मों के निर्माण किया है जो एक दम अलग शैली की होती है।

वहीं एक दूसरे से मिलते-जुलते दिखने वाले दो भाई आयुष्मान खुराना और अपराशक्ति भी फिल्मों में कदम रख चुके है।​ ​हालाँकि आयुष्मान खुराना के छोटे भाई अपराशक्ति जो नीरज पांडे की फ़िल्म 'सात उच्चके' और में 'बब्बू की जवानी' में नज़र आने वाले है, वह इस बात पर चिंता या खीज प्रगट नही करते। रेडियो प्रस्तोता और मेजबान कहते है, "आपस में तुलना होना तो लाज़मी है लेकिन इस्की वज़ह से मुझपर कोई दबाव नही है। मैं इस सामान्य मनोरंजन को एक टीवी प्रस्तुत कर्ता के तौर पर करने में बेहद उत्साहित हूं। आजकल एक अच्छे एंकर के लिये बहुत स्पेस है खासकर अगर वह फ़िल्म के माध्म से भी लोकप्रियता पा चुका हो। मैं टीवी और फिल्म दोनों को ही करना पसंद करूंगा।
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