बंगाली बाला मिष्ठी जिन्होंने हाल ही में 'कांची' फिल्म से बॉलीवुड में एंट्री की है अब वह एक बार फ़िर से हिंदी फ़िल्म में काम करने की तैयारी कर रही है। मजेदार बात ये है कि वह इस बार भी सुभाष घई के साथ ही काम करेँगी और उस से भी मजेदार बात ये है कि उनकी अगली फ़िल्म में उनके हीरो सलमान खान होंगे।
ऐश्वर्या के बाद सुभाष घई की यह अगली खोज है। जिनकी तुलना ऐश्वर्या से की जा रही है। लेकिन मिष्ठी इसे सही नही ठहराती। साथ ही उनकी फिल्म 'कांची' में मिली आलोचनाओं के बाद वह अपने आप को और ज्यादा मजबूत महससू कर रही है। पेश है उनसे बातचीत के कुछ अंश।
उत्साही बंगाली लड़की का कहना है, "ये कहा जाता है कि जो आपको तोड़ नही पाता वह आपको मज़बूत बनता है। इन पिछले कुछ दिनों ने मुझे मज़बूत बना दिया है। यह बहुत ही अद्धभुत बात है कि कैसे एक हफ्ता आपकी पूरी जिंदगी बदल सकता है। आज मैं अपने आप को बहुत मजबूत महसूस करती हूँ। मुझे लगता है कि अब मैं बड़ी हो गई हूँ।
ऐसा नही है कि मिष्ठी अपनी फिल्म को मिली आलोचनाओं से खुश या दुखी है, " यह मेरी जिंदगी का एक साल है। पिछले एक साल में मैंने 'कांची' के अलावा कुछ नही किया। यही मेरी जिंदगी थी। अब कुछ निराशा की भावना है क्योंकि जिस तरह से कुछ आलोचकों ने फ़िल्म में मेरी उपस्थिति को बयान किया है वह थोड़ा सा निराशा जनक है। साथ ही मेरे अंदर एक शून्य भी है क्योंकि मैने पक्ति में नही रखा है।"
फिल्म के बारे में बताते हुए मिष्टी कहतीं है, "मैंने एक गाँव की लड़की का किरदार निभाया है। मैं एक शह री नस्ल की लड़की वाले खेल नहीं जानती, वह नही जानती कि अपनी आवाज को कैसे ढालना है और रैम्प पर कैसे चलना है। वह अनाड़ीपन के साथ चलती और बोलती हूँ क्योंकि यही मेरा तरीका है। क्योंकि यह चरित्र सुभाष घई जी ने मेरे लिये तैयार किया है, और उन्होंने ही मुझे इस किरदार के लिये राजी किया। वह ताल की ऐश्वर्या की तरह परिष्कृत नही है।"
मिष्टी कांची की तुलना ऐश्वर्या से करना ठीक नही मानती, "'कांची' मेरी पहली फ़िल्म है। मैं सीख रही हूँ। मैं फिल्म एक्टिंग की ग्रामर को सीखने की कोशिश कर रही हूँ। भाग्यवश सुभाष घई के रूप में मुझे एक अच्छे अध्यापक मिले। मैं एक्टिंग के बारे में जो कुछ भी जानती हूँ वह सब मुझे उनहीं से मिला है।"
अब मिष्ठी सुभाष घई की अगली फ़िल्म के लिये तैयारी कर रही है, "मेरी सुभाष घई जी के साथ तीन फ़िल्मों की डील है। अगर नही भी होती तो मैं इस वजह से नही छोडती कि लोगो ने मेरी पहली फ़िल्म की आलोचना की है। मेरे पास बांगला में बहुत सी फिल्मों के प्रस्ताव है, लेकिन मैं सिर्फ़ अपने करियर को चलता रहने के लिये मुंबई और कोलकाता के चक्कर नही लगाती रहूंगी। मैं मेरी फिल्म 'कांची' को मिली आलोचनाओं के बाद भी मुंबई में ही संघर्ष करूंगी।"
वह आलोचनाओं से नही घबराती, "मैं इसे दिल पर क्यो लूँ? जो भी कहा जा रहा है वह एक सोचे समझे विचार का नतीजा होना चाहिए। मैंने कुछ आलोचनाओं को गंभीरता से लिया है। मैं अपने आप को सुधारने की कोशिश करूंगी।"
मिष्टी फ़िल्म के प्रोमोशन बहुत महत्वपूर्ण भाग मानती है, 'पोस्ट-रिलीज़ पब्लिसिटी भी बहुत मायने रखती है। हमारा आने वाले शुक्रवार की फिल्मों से मुकाबला महत्वपूर्ण नही है। हमें अपनी फिल्म के लिए ज्यादा से ज्यादा दर्शकों की रूची बनानी होगी।