बचपन से ही डांस की शौक़ीन माधुरी कथक डांस में पारंगत है और उन्हें इसके मास्टर के तौर पर देखा जाता है। आज लाखों करोड़ों चाहने वालों की आदर्श माधुरी ने कभी सोचा भी नही था कि वह एक अभिनेत्री बनेंगी। यहाँ तक कि माइक्रोबॉयलॉजिस्ट बनने की चाह रखने वाली माधुरी ने नृत्य भी केवल अपने शौक के लिए सीखा था।
जब माधुरी ने 1984 में राजश्री प्रोडक्शन से हिंदी फिल्म 'अबोध' में अभिनय किया था तो उनकी पहली ही फिल्म सिने-स्क्रीन पर सफलता अर्जित नही कर पाई थी। इसके बाद उन्हें छोटी- छोटी भूमिकाएं तो मिलती रहीं लेकिन कोई ख़ास काम उनके हाथ नही आया। लेकिन जब 1988 में आई फिल्म में उन्हें काम करने का मौक़ा मिला तो माधुरी रातों रात एक स्टार बन गई।
यहां तक कि इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर का बेहतरीन अभिनेत्री पुरुस्कार के लिए नामांकित भी किया गया। इस फिल्म का एक गाना एक, दो, तीन आज भी उनकी खास पहचान है।
इसके बाद माधुरी की झोली में फिल्मों की कमी नही थी। 'राम लखन', 'परिन्दा', 'त्रिदेव', 'किशन-कन्हैया', 'देवदास', 'बेटा', 'खलनायक', 'हम 'आपके हैं कौन', 'दिल तो पागल है', और 'पुकार' जैसी फिल्मों से माधुरी ने अभिनय में अपने झंडे गाड़ दिए। यहाँ तक कि मि. नैने से शादी के बाद भी दो बच्चों की माँ माधुरी छोटे और बड़े दोनों ही पर्दों पर सक्रीय है।