'वर्ल्ड पीस सेंटर', अलंदी, और एमएईईआर के एमआईटी कॉलेज के राजबाग परिसर द्वारा पुणे के पास लोनी कलभोर में स्थापित इस संग्रहालय का उद्घाटन शु़क्रवार को हुआ।
समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रणधीर कपूर ने कहा कि एमआईटी ने मेरे पिता के प्रति जो आदर और प्यार दिखाया है, उसके लिए मैं इस संस्थान को धन्यवाद देता हूं। उनकी आत्मा यहां इस स्मारक में, और प्रत्येक पेड़ व फूल में मौजूद है।
उन्होंने कहा कि हिंदी सिनेमा के सबसे बड़े नायक मेरे पिता राज कपूर के प्रति दिखाए गए आदर के लिए मैं बहुत खुश हूं। मेरे पिता आज जीवित नहीं हैं, लेकिन मुझे लगता है कि वह जिंदा हैं और इस स्थान पर और इस स्मारक में वह वास करते हैं।
राज कपूर के सबसे छोटे पुत्र राजीव कपूर भी इस मौके पर मौजूद थे। राजीव ने कहा कि मुझे लगता है कि इस स्मारक को हर किसी को देखना चाहिए। हम उनके (मेरे पिता के) कार्यों से काफी कुछ सीख सकते है।
वर्ल्ड पीस सेंटर, अलंदी के संस्थापक अध्यक्ष विश्वनाथ डी. कराड ने कहा कि यह राजकपूर और उनके परिवार का सपना था कि इस भूमि का उपयोग शिक्षा के लिए किया जाए। इस महान कलाकार ने समाज को एक अनोखा संदेश दिया है। इसलिए हम इस स्मारक के निर्माण के लिए प्रेरित हुए, जिसमें भारतीय संस्कृति को सिनेमा के माध्यम से प्रदर्शित किया गया है।
राज कपूर ने 24 वर्ष की उम्र में अपना खुद का स्टूडियो, आर. के. फिल्म्स शुरू किया था। उसके बाद 1948 में आग फिल्म के जरिए वह सबसे कम उम्र के निर्देशक बन गए। उसके बाद उन्होंने बरसात (1949), आवारा (1951), श्री 420 (1955), चोरी चोरी (1956) जैसी सफल फिल्मों का निर्माण, निर्देशन किया और उसमें अभिनय किया।