निर्देशक : सब्बीर खान
स्टार : 2
फिल्म 'हीरोपंती' से टाइगर श्रॉफ ने सिने-पर्दे पर एक एक्शन हीरो के रूप में एंट्री मार दी है। फिल्म की कहानी कोई नई नहीं है। यह एक तेलगु फिल्म 'परुगु' का हिंदी रीमेक है। जो हिंदी सिनेमा की कुछ एक फिल्मों जैसे 'दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे' तो कहीं 'कमांडो' जैसा महसूस कराती है। जाट लैंड की खाप पंचायत जैसे मुद्दे को मिर्च-मसालों के साथ मिला कर बनाया गया है।
अगर फिल्म की कहानी की बात की जाए तो आज का बड़ा मुद्दा ये है कि दर्शकों को चाहिए कुछ नया। लेकिन ज्यादातर फ़िल्में या तो रीमेक बन रही है या पुरानी कहानियों को मिर्च मसालों के साथ परोसा जा रहा है। ऐसा ही कुछ इस बार भी है। फिल्म एक तेलगु फिल्म का रीमेक है। जिसमें कुछ नया है तो कलाकार, या फिर टाइगर का एक्शन।
फिल्म में चौधरी (प्रकाश राज) दो बेटियों, बड़ी बेटी रेनू (संदीप धार) और छोटी बेटी डिंपी (कृति सेनन) के पिता है। जिनसे वह प्रेम तो बहुत करते है, लेकिन हरियाणवी जाट होने के नाते उन्हें अपनी इज्जत और मान सम्मान उनकी ख़ुशी से कहीं ज्यादा प्रिय है। ऐसे में बड़ी बेटी का शादी के दिन घर से भाग जाना जाट लैंड की खाप पंचायत में खलबली मचा देता है। और इस भागे हुए प्रेमी जोड़ों के भाग जाने का नतीजा भुगतना पड़ता है रेनू को भगा कर ले जाने वाले लड़के के दोस्तों और रेनू की छोटी बहन डिंपी को। जिनमें से एक है बबलू (टाइगर श्रॉफ) जो डिंपी से पहली नजर में प्रेम तो कर लेता है लेकिन साथ ही वह रेनू के गम से दुखी चौधरी के दर्द को भी समझता है। अब उसके सामने दो मुश्किलें है, जिसमें से एक उसके अपने प्रेम को खोने का डर और दूसरा एक बेटी के दुःख से जूझ रहा ऐसा पिता जिसे डर है कि कहीं उसकी दूसरी बेटी भी घर से भाग ना जाए। अब इसका नतीजा क्या निकलता है, और कैसे निकलता है इसके लिए तो आपको फिल्म ही देखनी पड़ेगी।
फिल्म के दृश्य बड़ी तेजी से बदलते है, जो आपको ज्यादा सोचने का मौक़ा नही देते। वहीं कुछ दृश्यों को काफी लंबा खींचा गया है। जो काफी उबाऊ लगने लगते है और दर्शक सोचते है कि अब बस भी करो। फिल्म की कहानी 'स्टार्ट टू फिनिश' के जैसी लगती है। जिसमें कुछ ही दृश्य ऐसे है जो फिल्म से दर्शकों को बाँध कर रखने में कामयाब है। फिल्म में एक प्रसिद्द हास्य कलाकार की उपस्थिति बहुत मनोरंजक है। जो इसमें मेहमान भूमिका में है।
फिल्म में अभिनय की अगर बात आती है तो टाइगर श्रॉफ इस फिल्म के मुख्य और नवोदित कलाकार है। जो इस फिल्म से अपने करियर की शुरुआत करने जा रहे है। इसलिए उनके लिए ये फिल्म खास तौर पर एक चुनौती है। फिल्म देखने के बाद टाइगर के लिए कहा जा सकता है कि वह आने वाले समय के धमाकेदार एक्शन हीरो है। जो बॉलीवुड के दूसरे एक्शन हीरो के लिए एक चुनौती हो सकते है। उन्होंने फिल्म में अपने एक्शन से देखने वालों को आश्चर्य चकित कर दिया है। कहा जा सकता है कि उन्हीने एक्शन को एक अलग स्तर पर पहुंचा दिया है। कमाल की ऊर्जा है टाइगर में। साथ ही एक और खूबी उनमें ये भी है कि वह एक अच्छे डांसर भी है। अगर अभिनय की बात की जाए तो वह भी उनके खून में है। जिसका अभी अनुभव की आंच में उन्हें पकना बाकी है।
वहीं फिल्म की अभिनेत्री कृति सेनन को देख कर कहा जा सकता है कि निसंदेह उनमे अभिनय क्षमता है। हालाँकि फिल्म में उनके हिस्से एक आध ही प्रभावी दृश्य थे, ज्यादातर तो वह बस खूबसूरत दिखने में व्यस्त थी। लेकिन एक दृश्य जिसमें उसका चाचा उस से पूछता है कि "कौन है वो लड़का जो रेनू के बारे में बता सकता है" उसमें कृति के भाव उम्दा थे।
इसके अलावा प्रकाश राज के अभिनय से सभी वाकिफ है। वह अपने उसी अंदाज में दिखे है। फिल्म में वह एक विलेन और बाप दो अलग-अलग चरित्रों में बखूबी जमे है। यहाँ तक कि एक बाप के तौर पर वह दर्शकों को रुलाने में भी कामयाब रहे है। उनके अलावा फिल्म के बाकी कलाकारों ने अपने चरित्रों में अच्छा साथ दिया है।
अगर फिल्म के संगीत की बात की जाए तो 31 साल पहले यानी 1983 में आई फिल्म 'हीरो' वो फिल्म जिसने जैकी श्रॉफ को रातों-रात स्टारडम की चांदनी में खड़ा कर दिया था। उसी फिल्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी बांसुरी की वो धुन जिसे जैकी बजाते हुए दिखते थे। और इस बार उन्होंने अपनी इसी धुन को विरासत में अपने बेटे को सौंप दिया है। मजेदार बात ये है कि ये धुन एक बार फिर से अपना जादू दिखाने में कामयाबी हांसिल कर रही है।
'मेरे नाल तु व्हिसल बजा' की शुरुआत इसी धुन से होती है जिस से गाना खुद ब खुद पहचान बनाने में कामयाब हो गया है। यूट्यूब पर भी इसने खूब लाइक्स बटोरे है। इसके अलावा 'आ रात भर', 'क्यों मुझसे खफा', 'जिया लागे ना', 'रब्बा' जैसे गाने भी अच्छे है। वैसे 'पीया लागे ना' काफी हद तक रितेश और जेनेलिया डिसूजा की फिल्म 'तेरे नाल लव हो गया' से मिलता-जुलता है।