वह कहते हैं कि फिल्म निर्माताओं के दिल में अपने काम के प्रति विश्वास बनाए रखने का श्रेय उनकी पिछली फिल्म 'कलयुग' (2005), 'वो लम्हे' (2006), 'मर्डर 2' (2011) और 'आशिकी 2' (2013) के संगीत को जाता है।
सूरी ने सप्ताहांत पर कहा, "मैं अपने करियर में इस मुकाम पर नहीं पहुंच पाता अगर मेरे गीत सफल नहीं हुए होते। मैंने जब शुरुआत की तो मैं 22 साल का था और मेरी फिल्मों में सिर्फ नवोदित कलाकार थे। अगर मेरे गाने सफल नहीं होते तो लोगों ने मुझे मेरे करियर में कोई मौका नहीं दिया होता।"
उन्होंने कहा, "फिर चाहे यह 'वो लम्हे' या 'जिया धड़क जाए' गीत हो, मेरी फिल्मों के गीत सफल हैं।" वह कहते हैं कि अच्छे गीतों ने दर्शकों को हमेशा सिनेमाघरों की ओर खींचा है।