जॉन अब्राहम हाल ही में, एसिड हमले की शिकार महिला से मिलने राजधानी दिल्ली आए थे। उन्होंने कहा कि इस तरह का बदलाव लाने में माता-पिता सबसे अहम भूमिका निभा सकते हैं।
"एक महिला की इज्जत करना बहुत महत्वपूर्ण बात है। लेकिन हम आदमी इसे भूल जाते हैं। इसलिए यह बहुत आवश्यक है कि माता-पिता को अपने बेटों को महिलाओं के प्रती विनम्र रहना सिखाना चाहिए। जिस तरह से एक पिता अपनी पत्नी के साथ व्यवहार करता है, उसके बेटे भी बिलकुल वही व्यवहार करते है। सबसे पहली शिक्षा घर से ही शुरू होती है, और वे इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।"
साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि इस तरह के आक्रमण कर्ताओ के लिए नियम बेहद सख्त होने चाहिए और नेताओं को महिलाओं के बार में टिप्पणी करने को लेकर सावधान रहना चाहिए।
उन्होंने कहा, "नियम सख्त होने चाहिए और नेताओं को अपने शब्दों पर ध्यान देना चाहिए। नेता सार्वजनिक तौर पर संदेश देते हैं, और उनकी टिप्पणियों से बहुत फर्क पड़ता है।"
जॉन अब्राहम जो फीवर 104 एफएम से एसिड हमले की शिकार महिला के पक्ष में उतरे हैं। वह फिल्मों को भी समाज के लिए प्रभावी मानते हैं।
"जब हम एक फिल्म बनाते हैं, तो हम इसे महिला प्रधान या पुरुष प्रधान बनाते हैं। इनमें भी पक्षपात बंद होना चाहिए और हमें फिल्मों में महिलाओं की भूमिका को लेकर थोड़ा और जिम्मेवारी से काम करना चाहिए।"
हालाँकि अभी तक किसी भी फिल्म ने इस तरह का सन्देश नही दिया है। अभिनेता ने दावा किया है कि वह एक बार कॉलेज के दिनों में महिलाओं की सुरक्षा के लिए लड़ भी चुके हैं।
"मैं कॉलेज में था और एक लोकल ट्रेन में सफर का रहा था। जब मैं ट्रेन से नीचे उतरा, मैंने देखा कि एक आदमी जो मेरे बिलकुल आगे था उसने एक लड़की को कंधा मारा और भागने लगा। मैंने लड़के को पकड़ा और पुलिस में दे दिया। लेकिन वह महिला आरोप लगाने के लिए तैयार नहीं हुई। इस पर मुझे उसका यह व्यवहार बहुत बुरा लगा।"
लेकिन साथ ही अब जॉन सामाज में आए बदलावों, और अधिकारों के प्रति महिलाओं की जागरूकता से बेहद खुश भी हैं।