अरमान कहते हैं, "मुझे पता है कि फिल्मों में एक बेटे का थप्पड़ खाना बेहद आम बात है, लेकिन मेरे लिए बिलकुल भी आसान नहीं था क्योंकि मेरी माँ ने मुझे कभी भी थप्पड़ नही मारा। यही नहीं वह कहते हैं कि उनकी माँ ने उन्हें थप्पड़ इसलिए नहीं मारा क्योंकि वह एक बहुत ही सीधे-साधे बच्चे थे। अगर वह मुझसे परेशान हो जाती थी तो वह मुझे एक अँधेरे कमरे में बंद कर देती थी। लेकिन उन्होंने कभी भी मुझ पर हाथ नहीं उठाया। वह कहते हैं कि जब मेरी ऑन स्क्रीन माँ, अनीता जी ने मुझे थप्पड़ जड़ा तो मैँ अचंभे में था।"
हालाँकि अरमान एक फ़िल्मी परिवार से ही हैं, लेकिन उन्हें उनके चचेरे भाई-बहनों से इस मामले में कोई सहायता नही ली। अरमान कहते हैं कि सैफ के निर्माण वाली इस फिल्म में काम उन्होंने खुद मांगा है, और इसके बाद उन्होंने इसे करीना के साथ एक न्यूज़ लैटर द्वारा बांटा था।
वह कहते हैं कि लोगों को लगता है कि जब हम चचेरे भाई-बहन मिलते हैं, तो फिल्मों के बारे में ही बात करतें होंगे, लेकिन उनकी गलत धारणा है। हम हर चीज के बारे में खुलकर बातें करते हैं। लेकिन फिल्मों के बारे में नहीं। मैंने 'लेकर हम दीवाना दिल' के लिए बिना किसी को बताए ऑडिशन दिया था। जब आरिफ सर ने मुझे इस फिल्म के लिए साइन कर लिया तो मैंने करीना दीदी को कॉल किया। और उन्हें खबर दी कि मैं आपके अगले प्रोडक्शन में काम कर रहा हूँ।"
"हालाँकि मैं उनकी मृत्यु के बाद पैदा हुआ था, लेकिन मेरी माँ ने मेरे नाना की यादों को फिल्मों के जरिये जिंदा रखा है। मेरी माँ हमेशा मुझे मेरे नाना की कहानिया सुनाया करती थी। वहीं मेरी मौसी ने मेरे नाना जी पर एक किताब भी लिखी है, और हम सभी ने उसे पढ़ा है। जब मैं बच्चा था तो उनकी फिल्में जैसे 'मेरा नाम जोकर' देखा करता था।