दरअसल एक हिंदू संगठन जन जागृति समिति ने फिल्म पर सख्त आपत्ति जताते हुए, फिल्म पर हिन्दुओं के निरादर का आरोप लगा है। फिल्म में एक डायलॉग है, "मैं यहाँ इन्वेस्टिगेशन करने आया हूँ, तेरे दौ कौडी के प्रवचन सुनने नहीं आया। इसके बारे में संघठन के एक वक्ता अरविन्द पानसरे का कहना है, "फिल्म में अजय को एक मस्जिद में प्रार्थना करते हुए दिखाया गया है। अगर निर्माता मुस्लिमों का आदर कर सकते हैं तो वह वही आदर हिन्दुओं के लिए क्यों नहीं दिखा रहे। प्रवचन हमारे लिए बहुत महत्त्व रखता है। इसलिए हम फिल्म के चरित्र की इस टिप्पणी को अनदेखा नहीं कर सकते। हमने फिल्म की पहली इंस्टालमेंट के लिए कोई विरोध नहीं जताया था, लेकिन इस बार हम ऐसा करने के लिए मजबूर हैं क्योंकि इस बार फिल्म में हिन्दुओं के लिए निरादर दिखाया गया है। अगर फिल्म पर प्रतिबंध नहीं लग सकता तो फिल्म के वे दृश्य डिलीट होने चाहिए।"
कहा जा रहा है कि समिति ने पहले ही रिलायंस एंटरटेनमेंट और सीबीएफसी के सामने अपनी भावनाओं और गुस्से को जाहिर कर दिया है। हालंकि अभी तक इसके बारे में अजय देवगन की तरफ से कोई भी आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है, लेकिन एक सूत्र का कहना है कि समिति सिर्फ पब्लिसिटी हासिल करने की कोशिश कर रही है।
सूत्र के अनुसार, "फिल्म में अजय एक पुलिस अफसर की भूमिका में हैं और यह सभी जानते है कि मुंबई पुलिस अफसर महिम दरगाह जाते रहते हैं। वहीं फिल्म में एक भ्रष्ट साधू भी विलेन के किरदार में है। इसी के चलते अजय उस से इस तरह से बात कर रहे हैं।"
वहीं जब इस बारे में सेंसर बोर्ड के एक सदस्य से संपर्क किया गया तो उसने कहा, "'सिंघम रिटर्न्स' अभी तक हमारे पास नहीं आई है। हम इन सभी मुद्दों पर फिल्म को देखने के बाद ही टिप्पणी दे सकते हैं।