निर्देशक: मनमोहन सिंह
स्टार: ***
'आ गए मुंडे यूके दे' 2009 में आई फिल्म 'मुंडे यूके दे' का सीक्वल है। जोकि एक रोमांटिक कॉमेडी है। फिल्म रोमांस और कॉमेडी का अच्छा संयोजन है। इसकी एक अच्छी बात ये भी है कि फिल्म पूरी तरह से पारिवारिक है। हालाँकि फिल्म की कहानी को एक प्रेम कहानी के तौर पर सिर्फ एक दोहराव ही कहा जाएगा लेकिन फिल्म की प्रस्तुति मनोरंजक है।
ये कहानी है रूप यानी रुपिंदर (जिम्मी शेरगिल) की जिसे एक लड़की दिशा ढिल्लों (नीरू बाजवा) की फोटो देख कर उस से प्यार हो जाता है। जिसे वह अपने दोस्त दिलजीत सिंह जुगाड़ी (गुरप्रीत सिंह घुग्गी) के मैरिज ब्यूरो के दफ्तर में देखता है। लेकिन जब उसे दिलजीत बताता है कि यहाँ बात बननी तो मुश्किल है क्योंकि इसके पिता दिलीप सिंह ढिल्लों (ओम पूरी) अपनी बेटी की शादी सिर्फ किसी एनआरआई लड़के से ही कराना चाहते हैं, तो वह दुखी हो जाता है। दिलजीत उसे नकली एनआरआई बन कर दिशा से मिलने की सलाह देता है।
इसके बाद दिलजीत और रूप दिशा के गाँव पहुंच जाते हैं और वहां मोणी (राणा रणबीर) के घर रुकते हैं। रूप और दिलजीत दिलीप सिंह से 'मुंडे यूके दे' बनकर अपना परिचय कराते हैं और रूप दिशा का दिल जीतने की कोशिश करता है। ऐसा हो भी जाता है। दिशा के साथ-साथ उसके पिता को भी रूप जंच तो जाता है, लेकिन बीच में जब दिशा अपनी एक यूके वाली दोस्त से रूप और दिलजीत की मुलाकात करा देती है, तो बातों-बातों में दोनों की सच्चाई भी सामने आ जाती है। यानी दिशा रूप से बुरी तरह नाराज हो जाती है।
लेकिन जब रूप कुछ कोशिशों और मान-मनुव्वाल के बाद दिशा को इस झूठ के पीछे की भावनाओं और सचाई को बताता है, तो दिशा मान जाती है। लेकिन दोनों की शादी में अभी भी परेशानी है और वो है दिशा के पिता की जिद। लेकिन इसके बाद दोनों साथ में मिलकर योजना बनाते हैं कि इस झूठ को जारी रखा जाए और दोनों परिवारों को आपस में मिला दिया जाए। लेकिन इसके लिए रूप के परिवार को पंजाबी नहीं बल्कि एनआरआई बनकर ही मिलना है। ऐसे में दोनों के लिए ही आगे का रास्ता मुश्किल हो जाता है। एक और रूप को अपने परिवार को इतना बड़ा झूठा ड्रामा करने के लिए मनाना है और दूसरी और दिशा को अपने पिता को सच भी बताना है। तो क्या दोनों इसमें कामयाब हो पाते हैं बस इसी के चारो और घूमती कहानी है 'आ गए मुंडे यूके दे'।
हालाँकि फिल्म की कहानी हटके नहीं है लेकिन कुल मिलाकर मनोरंजक जरूर कही जा सकती है। फिल्म का स्क्रीनप्ले और शॉट्स अच्छे हैं। कॉमेडी और रोमांस का ठीक तालमेल है। लेकिन फिल्म की कहानी ज्यादा प्रभावित नहीं करती। वहीं फिल्म के छायांकन के मामले में नजीर खान ने अपनी भूमिका बखूबी निभाई है। फिल्म के निर्देशक मनमोहन सिंह के पास फिल्मों का काफी सालों का अनुभव है और जो इस फिल्म में दिखा भी है।
अभिनय की बात करें तो फिल्म में सभी ने अच्छा काम किया है, जिम्मी शेरगिल और नीरू बाजवा दर्शकों की अपेक्षा के अनुसार ठीक रहे हैं। गुरप्रीत सिंह घुग्गी और राणा रणबीर अपने किरदारों को हमेशा ही दिलचस्प बना देते हैं। वहीं पंजाबी फिल्मों में बीनू ढिल्लों की अपनी ही एक जगह है। उनके पर्दे पर आते ही दर्शकों को हंसी आनी शुरू हो जाती है। वहीं पिता के रूप में गुग्गु गिल अच्छे जमते हैं। लेकिन एक जिद्दी पत्नी और माँ के रूप में नवनीत निशान बेहतर रही। लेकिन अगर ओमपुरी की बात की जाए तो उनका पता नहीं चलता कि अभिनय कर रहे हैं या ये सब सच में हो रहा है। ओम पूरी बहुत बेहतरीन अभिनता हैं।
फिल्म का संगीत, 'तेरे ही नाल मैं', 'तेरे फांसले', और 'पसंद जट्ट दी' बेहद खूबसूरत गाने हैं जो सुनने में काफी अच्छे लगते हैं। जिन्हें काफी पसंद किया जा रहा है।