निर्देशन: रोहित शेट्टी
रेटिंग: **1/2 सितारे
'गोलमाल', 'चेन्नई एक्सप्रेस' और 'सिंघम' के बाद अपने उसी मार-धाड़ वाले अंदाज में रोहित शेट्टी एक बार फिर से सिने-पर्दे पर 'सिंघम रिटर्न्स' के साथ हाजिर हैं। फिल्म के बारे में सबसे अहम और पहली बात ये है कि रोहित ने इस बार भी कोई नया प्रयोग नहीं किया है, बल्कि अपनी उसी पुरानी तर्ज पर मसाला और मारधाड़ वाली फिल्म लेकर आये हैं।
फिल्म में एक दो किरदारों को इधर-उधर कर फिर से 'सिंघम' को थोड़े फेर बदल के साथ पेश किया गया है। कहानी उसी बाजीराव सिंघम (अजय देवगन) की है, जिसका तबादला उसके अपने गाँव शिवपुर (गोवा) से दूर मुंबई में हो गया है। और अब वह फिर से भृष्ट नेताओं और असामाजिक तत्वों के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी करता है। इस बार प्रकाश राज की जगह प्रकाश राव ( जाकिर हुसैन) और उसके सलाहकर और सहायक स्वामी जी (अमोल गुप्ते) ने ले ली है और वह जमकर जनता को लूटते हैं एक नेता के भेष में और दूसरा बाबा के भेष में। वहीं इनके खिलाफ सिंघम और उनकी पुलिस टीम इनके खिलाफ खड़ी है। इनके साथ कहानी में दो व्यक्तित्व और हैं, गुरूजी (अनुपम खेर) और अधिकारी (महेश मांजरेकर) लेकिन वो सिर्फ थोड़ी देर के लिए ही हैं।
अगर आप मारधाड़ और एक्शन दृश्यों के बारे में जानना चाहते हैं, तो एक बार अपने मन में 'सिंघम' समेत रोहित की पुरानी फिल्मों को दोहरा सकते हैं। वहीं रोमांस की बात करें, तो अवनी (करीना कपूर) और अजय ने अपनी-अपनी शादी-शुदा जिंदगी का पूरा ख़याल रखा है। करीना अब अपने रोमांटिक दृश्यों को लेकर काफी सचेत हो गई है। फिल्म का निर्देशन और फिल्मांकन भी रोहित की पुरानी फिल्मों जैसा ही लगता है।
फिल्म में किरदारों के अभिनय में नुक्स निकलना मुश्किल है, क्योंकि फिल्म के सभी कलाकार मंझे हुए और अभिनय की कसौटी पर परखे हुए हैं। अजय देवगन चुनौत्रियों का सामना करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। हालाँकि उनके पास ऐसा कोई नया और प्रायोगिक किरदार नहीं था, लेकिन जो भी था वह उस के दम पर फिल्म को मनोरंजक बनाने में कामयाब हैं। करीना कपूर को देख कर लगता है कि 'गोलमाल' सीरीज की फिल्मों से निकलकर अचानक से इसमें कूद गई हैं। लेकिन इसमें भी कोई संदेह नहीं है कि वह जिस भी सीन में आती है मनोरंजक लगती हैं।
वहीं फिल्म के बाकी कलाकारों में महेश मांजरेकर, अमोल गुप्ते, अनुपम खेर, जाकिर हुसैन, ने अपने रोल के मुताबिक उम्दा अभिनय किया है, लेकिन महेश, अनुपम खेर के शिष्य और नेता के रूप में गजब और बेहद वास्तविक थे। उन्होंने बेहद सहजता से अभिनय किया है। अनुपम खेर हमेशा ही शानदार रहते हैं।