सत्तर के दशक में फिल्मकार बासु चटर्जी अपनी कई फिल्मों में गानों को कहानी की पृष्ठभूमि में इस्तेमाल किया करते थे। वर्तमान में भी शूजीत सरकार और राकेश ओम प्रकाश मेहरा जैसे फिल्मकार गानों को विशेष रूप से नायक-नायिकाओं पर फिल्माने के बजाय पृष्ठभूमि में इस्तेमाल करना पसंद करते हैं।
लेकिन रहमान की सोच और राय जरा अलग है। उन्होंने कहा, "मेरे कई सारे अच्छे गीत 'रंग दे बसंती' और 'दिल्ली 6' जैसी फिल्मों में पृष्ठभूमि में इस्तेमाल किए गए। उन्हें किसी चरित्र पर नहीं फिल्माया गया। इसलिए उन गानों की पहुंच 30 से 40 प्रतिशत तक सिमटी रह गई, इसका क्या मतलब हुआ।"
उन्होंने कहा, "जो गीत पर्दे पर अभिनेता या अभिनेत्री पर फिल्माए जाते हैं, वे क्लबों में बजते हैं और रेडियो पर प्रसारित होते हैं। उनका श्रोताओं के दिमाग और मन में मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है।" रहमान अब अपनी रचनात्मकता के लिए दूसरे विकल्प भी तलाश रहे हैं। उन्होंने कहा, "फिल्मों में मैं संगीत देना चाहता हूं, जिसके पीछे एक कारण यह है कि फिल्मों में नायक-नायिकाओं को पर्दे पर गाते हुए दिखने का मौका मिलता है।"