निर्देशन: साहिल प्रेम
स्टार: 1/2 **
क्या आप डांस के बड़े शौक़ीन हैं? अगर हाँ तो फिर आपके लिए फिल्म काम कर सकती है। लेकिन अगर ऐसा नहीं है, तो मुझे नहीं लगता कि आप फिल्म देखना पसंद करेंगे। फिल्म शुरुआत में काफी धीमी और कुछ उबाऊ सी लगती है, लेकिन इंटरवल के बाद सालाह का अभिनय फिल्म के क्लाइमेक्स को रोचक बना देता है।
फिल्म, डांस, दोस्ती, अस्वकृति और अपने सपनों को हांसिल करने पर आधारित है। इस फिल्म में साहिल ने सिर्फ अभिनय ही नहीं किया है बल्कि फिल्म के लेखक और निर्देशक भी वही हैं। इसके अलावा उन्होंने डॉ ज़ीउस के साथ मिलकर फिल्म के संगीत पर भी काम किया है। फिल्म कुछ सामाजिक पहलुओं पर भी रौशनी डालती है, जिसमें बेकार परिवार, नस्लवाद जैसे मुद्दे शामिल है। लेकिन फिल्म का मुख्य पहलु एक लड़के के चारों तरफ घूमता है, जो अपने डांसिंग आदर्श से मिलने के लिए विदेश की उड़ान भरता है और अपनी टीम तैयार करता है।
फिल्म अरणव (साहिल प्रेम) से शुरू होती है। जो अपने क्रू के अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए लोन लेना चाहता है और इसी के लिए वह बैंक में बैठा है। वह इस प्रतियोगिता में भारत को प्रस्तुत करना चाहता है। लेकिन जब अरणव को पता चलता है कि कुछ कारणों के चलते उन्हें लोन नहीं दिया जा सकता, वह फ्लैशबैक में चला जाता है। कहना होगा कि फिल्म का 99 प्रतिशत हिस्सा फ्लैशबैक में ही चलता है।
फ्लैशबैक में अरणव शेफील्ड, ब्रिटेन में अपने डांसिंग आदर्श सीजर से मिलने पहुंच जाता है, और अपने क्रू में शामिल हो जाता है। हालाँकि उसके माता-पिता सोचते हैं कि उनका बेटा यूके में एमबीए की डिग्री कर रहा है। में अरणव के इस डांस के सपने को पूरा करने के सफर में उसके काफी अच्छे दोस्त भी बन जाते हैं। जिनमें पंजाबी और मेहनती दक्षिणी लड़के दोनों ही शामिल हैं।
जहाँ साहिल प्रेम के घुंघराले बाल फिल्म में आकर्षण का केंद्र बनते हैं, वहीं अमृत मघेरा का हर बात के अंत में 'येह' बोलना आपके दिमाग में गूंजता है। फिल्म की कहानी पर वापिस आते हैं। अरणव को सीजर पर प्रभाव छोड़ने के दो मौके मिलते हैं, लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो पाता। हालंकि वह सीजर को तो प्रभावित नहीं कर पाता लेकिन उनकी टीम की बैक डांसर आशिरा (अमृत) की उस पर निगाहें जरूर टिक जाती हैं। वैसे तो आशिरा एक भारतीय लड़की है लेकिन उसे इस बात का कोई गर्व नहीं है।
इसके बाद अरणव को सीजर का तो नहीं लेकिन, आशिरा का साथ जरूर मिल जाता है। लेकिन अब अरणव के सामने बड़ी मुश्किल ये है कि उसे बिना अपने आदर्श के सहारे के ही अपना विजेता बनने का सफर तय करना है। वह हार नहीं मानता और अपना खुद का डांस और डांसिंग पार्टनर्स तैयार करता है, और अंत में उसकी मेहनत रंग लाती है और साहिल प्रतियोगिता जीत जाता है।
वहीं फिल्म में कुछ छोटी, छोटी और भी कहानियां है, जैसे एक लड़का जो एमबीए में एडमिशन के लिए संघर्ष करता है, एक विद्रोही लड़की जो घर से जाने पर पिता के सामने पछतावा जाहिर करती है। एक लड़का जो डांसर बनना चाहता है लेकिन वह सफल नहीं हो पाता। हालंकि फिल्म में डांस को काफी प्रभावी तरीके से दिखाया गया है, लेकिन फिल्म की कहानी दर्शकों के लिए वह मनोरंजन तैयार करने में विफल लगती है, जो फिल्म से दर्शकों को बांध कर रख सके।
लेकिन अगर आप फिल्म को बीच में छोड़कर जाते हैं, तो आप फिल्म के सबसे महत्वपूर्ण और मनोरंजक हिस्से, यानी ए जे (सालाह बेंलेमकावंसा) के अभिनय से चूक सकते हैं। काश! हम उनके जादुई मूव्स को थोड़ा और फिल्म में देख पाते। जिसने फिल्म के अंत को बेहतर बना दिया।
हालाँकि यह फिल्म साहिल प्रेम का ड्रीम प्रोजेक्ट था, और इस पर उन्होंने काफी मेहनत भी की। लेकिन एक अभिनेता, निर्देशक और म्यूजिक डायरेक्टर के तौर पर कहा जा सकता है कि उनके हिस्से में हद से ज्यादा काम था, और वह इन सभी चीजों को व्यस्थित करने में असफल रहे। जिसका असर उनकी फिल्म पर यह हुआ कि वह फिल्म को एक बेहतरीन साँचे में ढालने में कामयाब नहीं हुए। वहीं फिल्म की अभिनेत्री के अभिनय के बारे में कहा जा सकता है कि उन्हें अपने अभिनय को तराशने की जरूरत है। फिल्म में सालाह के अविश्वसनीय मूव्स फिल्म को ढाई स्टार देने पर मजबूर करते हैं।