निर्देशन: विक्रम भट्ट
स्टार: *
विक्रम भट्ट एक बार फिर दर्शकों को डराने के लिए फिल्म 'क्रिएचर 3डी' और अपनी पसंदीदा अभिनेत्री बिपाशा बासु के साथ सिल्वर-स्क्रीन पर आए हैं, लेकिन पता नहीं चल सका है कि वह "कहना क्या चाहते थे"। जिसे फ़िल्मी से जुड़े लोगों और विक्रम ने एक नई शुरुआत और एक दम अलग फिल्म जैसे नाम दिए, उसमें हॉलीवुड की कई फिल्मों के मिक्सचर के अलावा कुछ देखने को नहीं मिला। कुछ एक दृश्यों के अलावा फिल्म में कुछ नहीं है।
फिल्म की कहानी एक लड़की आहना (बिपाशा बासु) के चारों तरफ घूमती है, जो मुंबई से हिमाचल, अपना होटल खोलने के लिए शिफ्ट होती है। वह यह होटल थ्रिल के शौक़ीन लोगों के लिए सुनसान जंगल में खोलती है, और इसे खोलने के लिए वह बैंक से लोन लेती है। लेकिन जब उसका यह होटल बनकर तैयार हो जाता है और उसमें लोग आकर रुकना शुरू कर देते हैं, इसके बाद बिपाशा समेत होटल में रुकने वालों का सामना एक अजीबोगरीब जानवर से होता है। जो होटल में रुके मेहमानों को निगल कर होटल की मालकिन के जीवन में भूचाल ला देता है। ऐसे में बाकी गेस्ट तो होटल में रुकने का ख्याल छोड़ देते हैं, लेकिन एक मेहमान कुणाल (इमरान अब्बास नकवी) इस लड़ाई में आहना का साथ देता है। वहीं सदाना(मुकुल देव) जो इस तरह के जानवरों पर रिसर्च कर रहा है वह बिपाशा को इस जानवर को ब्रह्मराक्षस के तौर पर परिचित कराता है। इसके बाद अहाना और कुणाल इस ब्रह्मराक्षस के साथ दो-दो हाथ करते हैं।
फिल्म हर मामले में, फिर चाहे वह अभिनय हो कहानी हो या जबरजस्ती भरा गया मसाला हो हर चीज बेतुकी और निराशा जनक है। हालाँकि विक्रम भट्ट ने फिल्म में सुरवीन चावला और जय भानुशाली का एक बेहद रोमांटिक तड़का भी मार दिया है लेकिन वह फिल्म को चलाने के लिए काफी नहीं है। कहा जा सकता है कि यह एक बेहद बेतुकी कहानी वाली फिल्म है, जो थियेटर में सोने के लिए मजबूर कर देती है। इसलिए इसे देखने से अच्छा है कि थियेटर में पकने के बजाय घर पर ही सोया जाए।